विद्यालाभ व अद्भुत विद्वत्ता की प्राप्ति हेतु


विद्यालाभ के लिए मंत्र :

‘ॐ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं वाग्वादिनि सरस्वति मम जिह्वाग्रे वद वद ॐ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं नमः स्वाहा ।’

विधि : जिन राज्यों में पूर्णिमा को माह का अंत माना जाता है वहाँ यह मंत्र 6 जून को रात्रि 11-13 से रात्रि 11-45 तक 108 बार जप लें और फिर मंत्रजप के बाद रात्रि 11-30 से 12 बजे के बीच जीभ पर लाल चंदन से ‘ह्रीं’ मंत्र लिख दें । अथवा 7 जून को प्रातः 3 से रात्रि 9-02 बजे तक 108 बार मंत्र जप लें और रात्रि 11 से 12 बजे के बीच जीभ पर लाल चंदन से ‘ह्रीं’ मंत्र लिख दें ।
महाराष्ट—, गुजरात आदि जहाँ अमावस्या को माह का अंत माना जाता है वहाँ 4 जुलाई को सुबह 8-25 से रात्रि 11-45 बजे तक 108 बार मंत्र जप लें और रात्रि 11 से 12 बजे के बीच जीभ पर लाल चंदन से ‘ह्रीं’ मंत्र लिख दें ।

जिसकी जीभ पर यह मंत्र इस विधि से लिखा जायेगा उसे विद्यालाभ व अद्भुत विद्वत्ता की प्राप्ति होगी ।

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