जन्म-मृत्यु का दुःख, बुढ़ापे का दुःख, राग-द्वेष का दुःख… ये सब दुःख अविद्या से, अज्ञान से पैदा होते हैं । अविद्या माने अज्ञान-अंधकार । अज्ञान-अंधकार को ज्ञानरूपी प्रकाश में ले आओ तो वह ठहरेगा ही नहीं । इसलिए ब्रह्मविद्यारूपी होली जलाइये ताकि अविद्यारूपी रात्रि और उसका सारा परिवार स्वाहा हो जाय ।
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