03 May By AshramSevaTeam 0 Comment In Thought For The Day Asharamjibapu, Vakta 12-12 वर्ष परिश्रम के बाद भी मन, इन्द्रियाँ शायद ही अनुशासित हों पर महापुरुषों के सत्संग-सान्निध्यमात्र से ये सहज ही अनुशासित हो जाते हैं ।
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