
Tulsi Pujan Diwas 25 दिसम्बर 2021
पूज्य संत श्री आशारामजी बापू द्वारा 2014 में शुरू किये गये तुलसी पूजन दिवस ने व्यापक रूप ले लिया है। पाश्चात्य सभ्यता के दुष्प्रभाव से लोग तुलसी की महिमा भूलते जा रहे थे । पूज्यश्री की इस पहल से लोगों में जागृति आयी है और लोग पुनः अपने घरों में तुलसी-पौधा लगा के तथा पूजन कर लौकिक अलौकिक व आध्यात्मिक लाभ लेने लगे हैं । जो अभी तक इसका लाभ नहीं ले पाये वे भी इस बार से 25 दिसम्बर को अवश्य तुलसी-पूजन कर जीवन को उन्नत व खुशहाल बनायें ।
पूज्य बापूजी कहते हैं : “तुलसी निर्दोष है । हर घर में तुलसी के १-२ पौधे होने ही चाहिए और सुबह तुलसी के दर्शन करो । उसके आगे बैठ के लम्बे श्वास लो और छोड़ो, स्वास्थ्य अच्छा रहेगा, दमा दूर रहेगा अथवा दमे की बीमारी की सम्भावना कम हो जायेगी । तुलसी को स्पर्श करके आती हुई हवा रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ाती है और तमाम रोग व हानिकारक जीवाणुओं को दूर रखती है ।”
- तुलसी को आवास के पास लगाने की इतनी अधिक महत्ता है कि सीताजी एवं लक्ष्मणजी ने भी इसे अपनी पर्णकुटी के आसपास लगाया था ।
- तत्वदर्शी ऋषि-महर्षियों ने तुलसी में समस्त गुणों को परखकर इसमें देवत्व एवं मातृत्व को देखा । अतः देवत्व एवं मातृत्व का प्रतीक मानकर इसकी पूजा-अर्चना तथा पौधा लगाने का विशेष प्रावधान किया गया ।
Celebrate Matru Pitru Pujan (MPPD)
14 फरवरी को पश्चिमी देशों में युवक युवतियाँ एक दूसरे को ग्रीटिंग कार्डस, फूल आदि देकर वेलेन्टाइन डे मनाते हैं । यौन जीवन संबंधी परम्परागत नैतिक मूल्यों का त्याग करने वाले देशों की चारित्रिक सम्पदा नष्ट होने का मुख्य कारण ऐसे वेलेन्टाइन डे हैं जो लोगों को अनैतिक जीवन जीने को प्रोत्साहित करते हैं ।
इससे उन देशों का अधःपतन हुआ है । इससे जो समस्याएँ पैदा हुईं, उनको मिटाने के लिए वहाँ की सरकारों को स्कूलों में केवल संयम अभियानों पर करोड़ों डालर खर्च करने पर भी सफलता नहीं मिलती ।
यह कुप्रथा हमारे भारत में भी पैर जमा रही है । हमें अपने परम्परागत नैतिक मूल्यों की रक्षा करने के लिए ऐसे वेलेन्टाइन डे का बहिष्कार करना चाहिए । इस संदर्भ में विश्ववंदनीय पूज्य संत श्री आशारामजी बापू ने की की है एक नयी पहल – ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’।


Drugs, Tabacco, Alcohol, Mukt Samaj
नशा क्या है….. ? संत श्री आशारामजी बापू कहते हैं : “जिसमें शांति न हो उसे ‘नशा’ कहते हैं ।”
गुटखा, बीड़ी, दारू या कोई भी व्यसन तन-मन को भयंकर हानि पहुंचाते हैं ।
इनसे इच्छाशक्ति दुर्बल होती है । मनुष्य देवता जैसा बनने के बदले पशु से भी बदत्तर बन जाता है । इनके चंगुल से मुक्त होने में ही सार है |
नशा व्यक्ति को खोखला कर देता है ।
शराब, बीड़ी, सिगरेट, गुटखा, तम्बाकू आदि से शरीर, मन, बुद्धि व संकल्पशक्ति के साथ रोगप्रतिकारक शक्ति भी क्षीण हो जाती है ।
इससे शरीर कई प्रकार के रोगों का घर बन जाता है, बहुत से लोग तो अकाल मृत्यु के भी शिकार हो जाते हैं
Pujya BapuJi’s Message for Holi Festival
