भाषा अनुभूति को अभिव्यक्त करने का माध्यम भर नहीं है बल्कि यह सभ्यता को संस्कारित करनेवाली वीणा एवं संस्कृति को शब्द देनेवाली वाणी है । किसी भी देश का प्राणतत्त्व उसकी संस्कृति होती है । संस्कृति की अभिव्यक्ति भाषा...
भगवान श्रीकृष्ण के चरणों में प्रणाम करते हुए युधिष्ठिर ने कहा : ‘‘श्रीकृष्ण ! सावन (अमावस्यांत मास के अनुसार आषाढ़) मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का क्या नाम है ? उसका व्रत करने से क्या लाभ होता है...
अधिक मास में सूर्य की संक्रांति (सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश न होने के कारण इस 'मलमास (मलिन मास) कहा गया। स्वामीरहित होने से यह मलमास देव पितर आदि की पूजा तथा मंगल कर्मों के...
गुरुपूर्णिमा की भारी महिमा है । वर्षभर के सत्कर्मों से जो पुण्य उपलब्ध होता है वह एक गुरुपूनम के पर्व पर गुरु-सान्निध्य अथवा गुरु-दर्शन, गुरुज्ञान-श्रवण से प्राप्त हो जाता है । जो मानव को लघु से गुरु बना दे...
सनातन धर्म के ऋषियों ने कितनी सुंदर व्यवस्था की है कि भोजन में तुलसीदल रखो तभी ठाकुरजी को भोग लगता है । तुलसी पुण्यदायी पौधा है । तुलसी पाप-शमन करती है । जैसे हरिनाम की महिमा है ऐसे ही...
होली का उत्सव बहुआयामी है । यह स्वास्थ्य की तरफ, सामाजिक मेलजोल की तरफ और न जाने किस-किस ढंग से इस जीव को अपनी सच्चाई (अपने वास्तविक स्वरूप आत्मा-परमात्मा) की तरफ उत्साहित कर देता है । इस दिन बच्चे...