कर्म को, भक्ति को योग बनाने की कला तथा ज्ञान में भगवद्योग मिलाने की कला हनुमानजी से सीख लो, हनुमानजी आचार्य हैं । लेकिन जिसके पास भक्ति, कर्म या योग करने का सामर्थ्य नहीं है, बिल्कुल हताश-निराश है तो......
दशरथ व कौसल्या के घर राम प्रकट हुए । भए प्रगट कृपाला दीनदयाला कौसल्या हितकारी । कोसल देश की वह कौसल्या... अर्थात् योगः कर्मसु कौशलम् । कुशलतापूर्वक कर्मवाली मति कौसल्या हो जायेगी और कौसल्या के यहाँ प्रकटेंगे दीनदयाला ।
श्रीरामचन्द्रजी परम ज्ञान में नित्य रमण करते थे । ऐसा ज्ञान जिनको उपलब्ध हो जाता है, वे आदर्श पुरुष हो जाते हैं । मित्र हो तो श्रीराम जैसा हो । उन्होंने सुग्रीव से मैत्री की और उसे किष्किंधा का...
होली का उत्सव बहुआयामी है । यह स्वास्थ्य की तरफ, सामाजिक मेलजोल की तरफ और न जाने किस-किस ढंग से इस जीव को अपनी सच्चाई (अपने वास्तविक स्वरूप आत्मा-परमात्मा) की तरफ उत्साहित कर देता है । इस दिन बच्चे...
सुख-शांति, आनंद चाहिए तो ‘भगवद्गीता के ग्यारहवें अध्याय का ३६वाँ श्लोक अर्थसहित लाल स्याही से लिखकर घर में टाँग दो । स्थाने हृषीकेश तव प्रकीर्त्या जगत्प्रहृष्यत्यनुरज्यते च । रक्षांसि भीतानि दिशो द्रवन्ति सर्वे नमस्यन्ति च सिद्धसंघाः ।। ‘हे अंतर्यामिन् ! यह...