कामिका एकादशी : 13 जुलाई
भगवान श्रीकृष्ण के चरणों में प्रणाम करते हुए युधिष्ठिर ने कहा : ‘‘श्रीकृष्ण ! सावन (अमावस्यांत मास के अनुसार आषाढ़) मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का क्या नाम है ? उसका व्रत करने से क्या लाभ होता है ?’’
भगवान श्रीकृष्ण ने कहा : ‘‘राजन् ! मैं तुम्हें एक पापनाशक उपाख्यान सुनाता हूँ, जिसे पूर्वकाल में नारदजी के पूछने पर ब्रह्माजी ने बताया था ।’’
भगवान ब्रह्माजी के चरणों में नारदजी ने प्रार्थना की : ‘‘हे देव ! सावन मास के कृष्ण पक्ष में कौन-सी एकादशी होती है और उसका क्या माहात्म्य है, कृपया मुझे सुनाइये ।’’
ब्रह्माजी ने कहा : ‘‘नारद ! सावन मास के कृष्ण पक्ष में जो एकादशी होती है उसका नाम ‘कामिका’ है । इसके स्मरणमात्र से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है । समुद्र व वन सहित सम्पूर्ण पृथ्वी का दान करने से जो फल होता है वह कामिका एकादशी का व्रत करने से प्राप्त होता है । खूब दूध देनेवाली बछड़ेसहित गाय को सुवर्ण आदि सींगों में लगाकर बहुत सामग्रियों के साथ दान करने से जो फल होता है वही फल कामिका एकादशी का विधिवत् व्रत करने से प्राप्त होता है । ऐसा नहीं कि सुबह कुछ खाया, दोपहर को मोरधन खाया, शाम को आलू आदि खाया और दूध पिया फिर थोड़ी आइसक्रीम खायी… तो तुमने यह एकादशी नहीं की, चटोरादशी कर दी ! स्वास्थ्य-लाभ भी नहीं हुआ, पुण्यलाभ भी नहीं हुआ ।
इस दिन श्रीकृष्ण, श्रीराम, हरि, माधव, मधुसूदन आदि नामों से भगवान का पूजन करना चाहिए । ‘कामिका’ का व्रत करनेवाला मनुष्य रात्रि-जागरण करने पर न तो कभी भयंकर यमराज का दर्शन करता है और न कभी दुर्गति में ही पड़ता है ।
माणिक्य, मोती, मूँगे आदि से पूजन करनेवाले की अपेक्षा तुलसी के पत्तों से भगवान का पूजन करनेवाला ज्यादा पुण्य को प्राप्त करता है । तुलसी दर्शनमात्र से पाप-समुदाय का नाश कर देती है, स्पर्श करनेमात्र से शरीर को पवित्र बनाती है और प्रणाम करने से रोगों की निवृत्ति करती है तथा जल से सींचने पर यमराज को भी भय पहुँचाती है । तुलसी रोपण करने पर भगवान के समीप ले जाती है । भगवान के चरणों में तुलसी चढ़ाना मोक्षप्राप्ति में सहायक माना गया है । जो तुलसी की मंजरियों से भगवद्-पूजन करता है उसके जन्मभर के पाप नष्ट हो जाते हैं ।
एकादशी को जो दीप-दान करता है उसे खूब पुण्य-लाभ मिलता है । भगवान के सम्मुख जो दीपज्योति जलाते हैं उनके पितर तृप्त होते हैं और उनके कुल में अच्छी संतान आती है ।’’
भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं : ‘‘युधिष्ठिर ! कामिका एकादशी सब पातकों को हरनेवाली है । एकादशी के दिन जो मौन रखे, कम बोले, भगवान जनार्दन की उपासना-पूजा करे व नीच कर्मों का त्याग करे, रात्रि को थोड़ा जागरण करे वह इन सारे फलों को सहज में ही पाता है । महान पुण्यफल व स्वर्गलोक प्रदान करनेवाली ‘कामिका’ का जो मनुष्य श्रद्धा के साथ माहात्म्य श्रवण करता है वह सब पापों से मुक्त हो श्रीविष्णुलोक में जाता है ।’’ – पूज्य संत श्री आशारामजी बापू
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