– पूज्य संत श्री आशारामजी बापू
(श्रीरामनवमी : 30 मार्च 2023)
रामनवमी के अवसर पर जो उपवास नहीं करता उसको शास्त्रों ने लताड़ा है । जो इस दिन अन्न का सेवन करता है, कामविकार में डूबता है और व्रत, संयम नहीं करता है, जिसकी वाणी में विनय नहीं है, हृदय में धैर्य नहीं है वह नराधम है, बड़ा दुष्ट है ।
पुनर्वसु नक्षत्र और रामनवमी का योग बड़ा दुर्लभ और अद्भुत है । सूर्यग्रहण के समय भगवन्नाम-जप का 10 लाख गुना फल होता है परंतु इस पुनर्वसु नक्षत्र युक्त रामनवमी में ध्यान, जप, उपवास का करोड़ों सूर्यग्रहण से अधिक फल होता है । (इस वर्ष रामनवमी के दिन रात्रि 10-59 से गुरुपुष्यामृत योग भी है, जो अगले दिन सूर्योदय तक रहेगा ।)
शंका होगी कि ‘नवमी को नवरात्रि का व्रत खोलना, पारायण करना है फिर यह उपवास कैसे शुरू करें ?’
तो नवमी को नवरात्रि का उपवास मानसिक रूप से खोल के थोड़ा-सा फलाहार जैसा प्रसाद ले लिया फिर ‘आज रामनवमी का व्रत रख रहा हूँ’ ऐसा संकल्प करके व्रत कर लिया ।
नवरात्रि के उपवास से शरीर की शुद्धि होने के साथ मन की भी शुद्धि होती है और बुद्धि भी सूक्ष्म, सूक्ष्मतर, सूक्ष्मतम होती है । कठोपनिषद् (अध्याय 1, वल्ली 3, मंत्र 12) में लिखा है :
एष सर्वेषु भूतेषु गूढोत्मा न प्रकाशते ।
दृश्यते त्वग्रयया बुद्ध्या सूक्ष्मया सूक्ष्मदर्शिभिः ।।
‘यह सबका आत्मरूप परमपुरुष समस्त प्राणियों में रहता हुआ भी माया के पर्दे में छिपे रहने के कारण सबके प्रत्यक्ष नहीं होता, केवल सूक्ष्म तत्त्वों को समझनेवाले पुरुषों द्वारा ही अति सूक्ष्म, तीक्ष्ण बुद्धि से देखा जाता है (उसका साक्षात्कार होता है) ।’
भाव की प्रधानता से भावना के अनुसार दृश्य दिख जाता है, वह इतना विशुद्ध नहीं होता है । विशुद्धसत्त्वेन… विशुद्ध सत्त्वगुण, संयम व व्रत-उपवास से बुद्धि सूक्ष्म, सूक्ष्मतर, सूक्ष्मतम होती है तभी परमात्मा का साक्षात्कार होता है ।
तो पुनर्वसु योग वाली रामनवमी को शुद्ध उपवास करना है । यह खाओ, वह खाओ, फलाहारी नमकीन खाओ… नहीं । दूध, फल आदि थोड़ा-सा नपा-तुला ले लिया, एक दिन तो निकालना है !
बिगड़ी जनम अनेक की सुधरहिं अब और आजु ।
अनेक जन्मों का प्रारब्ध अथवा कर्म की गति बिगड़ी हुई हो परंतु अब और आज सुधर सके वह दिन रामनवमी का है । तो रामनवमी के उपवास का यह अवसर चूकना नहीं ।
(आध्यात्मितक मासिक पत्रिका ‘ऋषि प्रसाद, मार्च 2023, अंक 363 से साभार)
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