सर्व सफलतादायिनी गौ – (गोपाष्टमी)
देशी गाय मानव-जाति के लिए प्रकृति का अनुपम वरदान है । जिस घर में गाय की सेवा हो, वहाँ पुत्र-पौत्र, धन, विद्या, सुख आदि जो भी चाहिए मिल सकता है । महर्षि अत्रि ने कहा है : ‘‘जिस घर में सवत्सा धेनु (बछड़ेवाली गाय) नहीं हो, उसका मंगल-मांगल्य कैसे होगा ?’’ गाय का घर में पालन करने से घर की सर्व बाधाओं और विघ्नों का निवारण हो जाता है । विष्णु पुराण में आता है कि जब भगवान श्रीकृष्ण ने पूतना के विषयुक्त दुग्ध का पान करते समय उसके प्राणों को भी पी लिया तब वह महाभयंकर रूप धारण कर मर के पृथ्वी पर गिर पड़ी । इससे भयभीत यशोदा माँ ने गाय की पूँछ घुमाकर श्रीकृष्ण की नजर उतारी और सबके भय का निवारण किया ।
महाभारत (अनुशासन पर्व : 51.32) में कहा गया है :
निविष्टं गोकुलं यत्र श्वासं मुञ्चति निर्भयम् ।
विराजयति तं देशं पापं चास्यापकर्षति ।।
‘गौओं का समुदाय जहाँ बैठकर निर्भयतापूर्वक साँस लेता है उस स्थान की शोभा बढ़ा देता है और वहाँ के सारे पापों को खींच लेता है ।’
गौ से विविध कार्यों की सिद्धि
वास्तुदोषों का निवारण : जिस घर में गाय होती है, उसमें वास्तुदोष स्वतः ही समाप्त हो जाता है । इस संबंध में वास्तुग्रंथ ‘मयमतम्’ में कहा गया है कि ‘भवन-निर्माण का शुभारम्भ करने से पूर्व उस भूमि पर ऐसी गाय को लाकर बाँधना चाहिए जो सवत्सा (बछड़ेवाली) हो । नवजात बछड़े को जब गाय दुलारकर चाटती है तो उसका फेन भूमि पर गिर के उसे पवित्र बनाता है और वहाँ होनेवाले समस्त दोषों का निवारण हो जाता है ।’
इससे कार्य भी निर्विघ्न पूरा होता है और समापन तक आर्थिक बाधाएँ नहीं आतीं ।
यात्रा में सफलता : * यदि यात्रा के प्रारम्भ में देशी गाय सामने दिख जाय अथवा अपने बछड़े को दूध पिलाती हुई दिख जाय तो यात्रा सफल होती है ।
* यदि रास्ते में जाते समय देशी गाय आती हुई दिखाई दे तो उसे अपनी दाहिनी बगल से जाने देना चाहिए, इससे यात्रा सफल होगी ।
पितृदोष से मुक्ति : देशी गाय को प्रतिदिन या अमावस्या को रोटी, गुड़, चारा आदि खिलाने से पितृदोष समाप्त हो जाता है ।
दीर्घायु-प्राप्ति : देशी गाय के घी का एक नाम ‘आयु’ भी है । आयुर्वै घृतम् । अतः गाय के दूध-घी से व्यक्ति दीर्घायु होता है । हस्तरेखा में आयुरेखा टूटी हुई हो तो गाय का घी काम में लें तथा गाय की पूजा करें ।
साक्षात्कार (interview)) में सफलता : किसी भी साक्षात्कार हेतु या उच्च अधिकारी से भेंट आदि के लिए जाते समय गाय के रँभाने की ध्वनि कान में पड़ना शुभ है ।
उत्तम संतान का लाभ : इसके लिए घर में देशी गाय की सेवा अच्छा उपाय कहा गया है ।
यम के भय से मुक्ति : शिव पुराण व स्कंद पुराण में कहा गया है कि गौ-सेवा करने और सत्पात्र को गौ-दान करने से यम का भय नहीं रहता ।
पाप-ताप से मुक्ति : जब गायें जंगल से चरकर वापस घर को आती हैं, उस समय को गोधूलि-वेला कहा जाता है । गाय के खुरों से उठनेवाली धूलराशि समस्त पाप-तापों को दूर करनेवाली है ।
ग्रहबाधा-निवारण : गायों को नित्य गोग्रास देने तथा सत्पात्र को गौ-दान करने से ग्रहों के अनिष्ट-निवारण में मदद मिलती है ।
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