– पूज्य संत श्री आशारामजी बापू
जिसको दरिद्रता मिटानी हो उसके लिए एक खास मंत्र है । कुबेरजी लक्ष्मीजी की उपासना करके कुबेर भंडारी बन गये । दुनिया के और देश के सभी धनाढ़्य लोगों से भी बड़ा धन का स्वामी है कुबेर भंडारी । कुबेर ने भगवती महालक्ष्मी के जिस मंत्र से उनकी उपासना करके परम ऐश्वर्य प्राप्त किया, उसी मंत्र के प्रभाव से दक्षसावर्णि मनु को बहुत ऊँचा पद मिला तथा राजा मंगल और प्रियव्रत को भी अथाह सम्पदा, सामर्थ्य एवं यश प्राप्त हुआ । ध्रुव के पिता राजा उत्तानपाद और राजा केदार को भी उसी मंत्र से अखंड सम्पदा मिली ।
कुछ मंत्र ऐसे होते हैं जिनका अर्थ समझ में नहीं आता किंतु उनके उच्चारण से शरीर के सूक्ष्म केन्द्र प्रभावित हो के ब्रह्मांड के अंदर जो अथाह रहस्य छुपे हैं उनसे तादात्म्य कर पाते हैं, उन्हें बीजमंत्र बोलते हैं ।
दरिद्रता मिटाने का मंत्र है बहुत सरल, उसमें बीजमंत्र ही भरे हैं । मंत्र है :
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं कमलवासिन्यै स्वाहा ।
यह लक्ष्मीजी का मूल-मंत्र है, सभीके लिए कल्पवृक्ष के समान है । यही मंत्र वैदिक मंत्रराज के रूप में प्रसिद्ध है । इस मंत्र को यदि कोई नरक चतुर्दशी व दीपावली की रात्रि में जपता है तो लक्ष्मीजी उस पर प्रसन्न होती हैं । इससे जापक के हृदय में जो ऐश्वर्य-सामर्थ्य लाने की योग्यता का केन्द्र है वह विकसित होता है ।
जिनके पास विवेक है वे इस मंत्र का जप करके बाहर की लक्ष्मी नहीं चाहते, वे तो केवल परमात्मा को चाहते हैं ।
तुम भी लक्ष्मीदेवी से प्रार्थना करो कि ‘माँ ! जो आपको प्रिय है वही मुझे प्रिय हो ।’ और लक्ष्मीजी को तो भगवान नारायण ही प्रिय हैं । जब वे परमात्मा तुम्हारे प्रिय हो जायेंगे तो लक्ष्मी माता तो तुम पर प्रसन्न रहेंगी ही । सारी दुनिया का धन, सत्ता और मान परमात्म-सुख के आगे दो कौड़ी की भी कीमत नहीं रखता ।
उपरोक्त प्रकार से प्रार्थना करके माँ लक्ष्मी से बाह्य वैभव न चाहकर आत्मवैभव चाहोगे तो मुझे प्रसन्नता होगी । मुझे लगता है कि इससे लक्ष्मी माता भी प्रसन्न होंगी, भगवान नारायण भी प्रसन्न होंगे और आपको भी आत्मप्रसाद की प्राप्ति हो जायेगी ।
REF: ISSUE358-OCTOBER-2022
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