– पूज्य संत श्री #आशारामजी बापू
(अक्षय तृतीया: 3 मई)
अक्षय तृतीया त्रेतायुग का प्रारम्भ दिवस, नर-नारायण का प्राकट्य दिवस, परशुरामजी का प्राकट्य दिवस, भगवान हयग्रीव का अवतार दिवस, किसानों के कृषि-कार्य का आरम्भ दिवस, नूतन वर्ष का प्रारम्भ दिवस है । किसान इस दिन को वर्ष के प्रारम्भ का शुभ दिन मानकर खेत-खलियान में प्रवेश करे तो उसे बरकत आने के शकुन मानते हैं ।
अक्षय तृतीया भगवान बद्रीनाथ के पट खुलने का दिवस है तो आपके दिल के दिलबर के पट खुलने का दिवस भी है । हरि हमारे हृदय के पट खोलें । ‘हरि ॐ शांति…’ जितना प्रीतिपूर्वक होंठों में जपते जाओगे, जप के अर्थ में शांत होते जाओगे, उतना ही जो हृदय में छुपा बद्रीनाथ भगवान है उसके पट भी खुलने के दिन निकट आ जायेंगे ।
इस दिन छाता, मटकी, और भी चीज-वस्तुओं का दान करने का अक्षय फल तो होता है किंतु भगवान का ध्यान, जप करके अपना अहंकार दान करना तो महाराज ! उसका असीम फल होता है । अक्षय तृतीया को जो-जो करो उसका फल अनंत गुना होता है ।
बच्चे-बच्चियाँ ! ध्यान देना बेटे ! अक्षय तृतीया के दिन किसी भी इच्छा से तुम जप करोगे तो वह अनंत गुना फल देगा । चाहे भगवान की प्रीति के लिए करो, चाहे भगवान के ज्ञान के लिए करो, चाहे भगवद्रस के लिए करो, चाहे ब्रह्मचर्य पालने के लिए करो, चाहे कुटुम्ब में सुख-शांति के लिए करो… जिसके लिए भी जप करोगे वह फलेगा ।
Ref: ISSUE340-APRIL-2021
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