– पूज्य संत श्री आशारामजी बापू
एक होती है शारदीय नवरात्रि और दूसरी चैत्री नवरात्रि । एक नवरात्रि रावण के मरने के पहले शुरू होती है, दशहरे को रावण मरता है और नवरात्रि पूरी हो जाती है । दूसरी नवरात्रि चैत्र मास में रामजी के प्राकट्य के पहले, रामनवमी के पहले शुरू होती है और रामजी के प्राकट्य दिवस पर समाप्त होती है ।
राम का आनंद पाना है और रावण की क्रूरता से बचना है तो आत्मराम का प्राकट्य करो । काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार तथा शरीर को ‘मैं’ और संसार को ‘मेरा’ मानना – यह रावण का रास्ता है । आत्मा को ‘मैं’ और सारे ब्रह्मांड को आत्मिक दृष्टि से ‘मेरा’ मानना – यह रामजी का रास्ता है ।
उपवास की महत्ता क्यों है ?
नवरात्रि में व्रत-उपवास, ध्यान, जप और संयम-ब्रह्मचर्य… पति-पत्नी एक-दूसरे से अलग रहें – यह बड़ा स्वास्थ्य-लाभ, बुद्धि-लाभ, पुण्य-लाभ देता है । परंतु इन दिनों में जो सम्भोग करते हैं उनको उसका दुष्फल भी हाथों-हाथ मिलता है । नवरात्रि संयम का संदेश देनेवाली है । यह हमारे ऋषियों की दूरदर्शिता का सुंदर आयोजन है, जिससे हम दीर्घ जीवन जी सकते हैं और दीर्घ सूझबूझ के धनी होकर ऐसे पद पर पहुँच सकते हैं जहाँ इन्द्र का पद भी नन्हा लगे ।
नवरात्रि के उपवास स्वास्थ्य के लिए वरदान हैं । अन्न से शरीर में पृथ्वी-तत्त्व होता है और शरीर कई अनपचे और अनावश्यक तत्त्वों को लेकर बोझा ढो रहा होता है । मौका मिलने पर, ऋतु-परिवर्तन पर वे चीजें उभरती हैं और आपको रोग पकड़ता है । अतः इन दिनों में जो उपवास नहीं रखता और खा-खा-खा… करता है वह थका-थका, बीमार-बीमार रहेगा, उसे बुखार-वुखार आदि बहुत होता है ।
इस ढंग से उपवास देगा पूरा लाभ
शरीर में 6 महीने तक के जो विजातीय द्रव्य जमा हैं अथवा जो डबलरोटी, बिस्कुट या मावा आदि खाये और उनके छोटे-छोटे कण आँतों में फँसे हैं, जिनके कारण कभी डकारें, कभी पेट में गड़बड़, कभी कमर में गड़बड़, कभी ट्यूमर बनने का मसाला तैयार होता है, वह सारा मसाला उपवास से चट हो जायेगा । तो नवरात्रियों में उपवास का फायदा उठायें ।
नवरात्रि के उपवास करें तो पहले अन्न छोड़ दें और 2 दिन तक सब्जियों पर रहें, जिससे जठर पृथ्वी-तत्त्व संबंधी रोग स्वाहा कर ले । फिर 2 दिन फल पर रहें । सब्जियाँ जल-तत्त्व प्रधान होती हैं और फल अग्नि-तत्त्व प्रधान होता है । फिर फल पर भी थोड़ा कम रहकर वायु पर अथवा जल पर रहें तो और अच्छा लेकिन यह मोटे लोगों के लिए है । पतले-दुबले लोग किशमिश, द्राक्ष आदि थोड़ा खाया करें और इन दिनों में गुनगुना पानी हलका-फुलका (थोड़ी मात्रा में) पियें । ठंडा पानी पियेंगे तो जठराग्नि मंद हो जायेगी ।
अगर मधुमेह (diabetes), कमजोरी, बुढ़ापा नहीं है, उपवास कर सकते हो तो कर लेना । 9 दिन के नवरात्रि के उपवास नहीं रख सकते तो कम-से-कम सप्तमी, अष्टमी और नवमी का उपवास तो रखना ही चाहिए ।
विजय का डंका बजाओ !
5 ज्ञानेन्द्रियाँ (जीभ, आँख, कान, नासिका व त्वचा) और 4 अंतःकरण (मन, बुद्धि, चित्त व अहंकार) – ये तुम्हें उलझाते हैं । इन नवों को जीतकर तुम यदि नवरात्रि मना लेते हो तो नवरात्रि का फल विजयादशमी होता है… जैसे रामजी ने रावण को जीता, महिषासुर को माँ दुर्गा ने जीता और विजय का डंका बजाया ऐसे ही तुम्हारे चित्त में छुपी हुई आसुरी सम्पदा को, धारणाओं को जीतकर जब तुम परमात्मा को पाओगे तो तुम्हारी भी विजय तुम्हारे सामने प्रकट हो जायेगी ।
REF:ISSUE345-SEPTEMBER-2021
Give a Reply