एक दिन गुरु नानकजी बैठे थे अपने सेवक, सिक्खों, भक्तों के बीच । नानकजी को प्यास लगी, बोले : ‘‘अरे भाई ! कोई है प्यारा ? कोई पानी लाओ !’’
गुरुकृपा हि केवलं... जन्म-जन्म का भटका हुआ जीवात्मा परमात्मा के रस से आनंदित हो जाय, बस यही संत-महापुरुषों की प्रेमभरी कृपा है । माँ की ममताभरी कृपा है, पिता की अनुशासनवाली कृपा है, भगवान का जैसा भजन करो वैसी कृपा...
परमात्मा का स्वभाव है सत्, चित् और आनंद । सत् स्वभाव विवेक से, वेदांत ग्रंथों से जान लेते हैं, चेतन स्वभाव आँखों से दिखता ही है परंतु आनंद स्वभाव की जो हमारी आवश्यकता है उसके लिए हमारी वैदिक संस्कृति...
रमा एकादशी को पूज्य बापूजी की मातुश्री माँ महँगीबाजी (अम्माजी) का महानिर्वाण दिवस है । इस अवसर पर प्रस्तुत है उन्हींकी सेविका द्वारा बताया गया उनके महानिर्वाण के पूर्व का एक प्रसंग :
जिसको दरिद्रता मिटानी हो उसके लिए एक खास मंत्र है । कुबेरजी लक्ष्मीजी की उपासना करके कुबेर भंडारी बन गये । दुनिया के और देश के सभी धनाढ़्य लोगों से भी बड़ा धन का स्वामी है कुबेर भंडारी ।
लौकिक विजय वहीं होती है जहाँ पुरुषार्थ और चेतना होती है । आध्यात्मिक विजय भी वहीं होती है जहाँ सूक्ष्म विचार होते हैं, बुद्धि की सूक्ष्मता होती है, चित्त की शांत दशा होती है ।
लोग बोलते हैं कि ‘आत्मसाक्षात्कार का सरल उपाय बताइये, सरल उपाय बताइये ।’ तो आत्मसाक्षात्कार करके बाद में क्या चाय पीने जाना है, देर होती है क्या ? ‘जल्दी है और सरल उपाय बता दो ।’ तो कोई रेलगाड़ी...
एक होती है शारदीय नवरात्रि और दूसरी चैत्री नवरात्रि । एक नवरात्रि रावण के मरने के पहले शुरू होती है, दशहरे को रावण मरता है और नवरात्रि पूरी हो जाती है ।
यह वह दिन है जिसकी बाट जीव करोड़ों जन्मों से देखता है । जीव कई बार जन्म लेता है और मर जाता है - जिस पद को पाये बिना सब करा-कराया छोड़ के रीता हो जाता है, उस पद...
श्राद्ध पक्ष के दिन ऋषियों के प्रति, अपने माँ-बाप के प्रति श्रद्धा व कृतज्ञता व्यक्त करने, अनाहत चक्र को विकसित करने और अंदर की सुरक्षा के दिन हैं ।