
मुख्य कारण जिनके लिए उन्हे निशाना बनाया जा रहा है ।

आरोप: अहमदाबाद गुरूकुल में तंत्र विद्या होती है ।
अंतिम परिणाम : विद्यार्थियों, अभिभावकों, सीआईडी, सेवानिवृत्त न्यायाधीश के जांच आयोग और भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने इस तरह के सभी दावों को खारिज कर दिया।
अंतिम परिणाम पर मीडिया का जवाब: कुछ नहीं!
आरोप: बापूजी ने कहा कि निर्भया भी बलात्कारियों जितनी ही दोषी थी।
अंतिम परिणाम: मीडिया ने उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत किया । 50 लाख रूपये ($ 100k) का पुरस्कार रखा गया था कि कोई यह सिद्ध करके बता दे कि बापूजी ने वास्तव में ऐसा कहा था लेकिन इस पुरस्कार के लिये कोई भी नहीं आया ।
अंतिम परिणाम पर मीडिया का जवाब: कुछ नहीं!
आरोप: होली में संत श्री आशारामजी बापू द्वारा पानी बर्बाद किया गया ।
अंतिम परिणाम: प्रत्येक एक लाख लोगों के लिए 3500 लीटर पानी का उपयोग किया गया जिसका अर्थ है कि प्रति व्यक्ति आधा गिलास पानी। वास्तव में पानी बचाया गया, बर्बाद नहीं हुआ।
अंतिम परिणाम पर मीडिया का जवाब: कुछ नहीं!
हाल ही का आरोप : उत्तर प्रदेश की एक लड़की ने पूज्य बापूजी पर 20 अगस्त 2013 को छेड़छाड़ का आरोप लगाया।
दिल्ली के कमला मार्केट पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की गई थी।
वर्तमान आरोपों के पीछे के तथ्य

- कानूनविद् डॉ सुब्रमण्यम स्वामी ने केस बनावटी पाया
- एफआईआर दर्ज करने के लिए दिल्ली को क्यों चुना? संदिग्ध देरी और दिल्ली पुलिस पर राजनीतिक दबाव
- एफआईआर में “बलात्कार” का आरोप नहीं मेडिकल रिपोर्ट में भी बलात्कार की पुष्टि नहीं
- कथित घटना के समय वहां न तो लड़की और न ही पूज्य बापूजी ही मौजूद थे
- “मैनें यह मेरे परिवार के दबाव में किया” – शिकायतकर्ता का कबूलनामा
- “भोलानंद की आंखें खोलने वाली स्वीकारोक्ति कि उसे बापूजी के खिलाफ बोलने के लिए पैसे दिये गये थे
- “गवाहों की मौत के बारे में झूठा प्रचार। केस के सभी गवाह जीवित हैं।
धर्म परिवर्तन का विरोध करने और उसे रोकने में संत श्री आशारामजी बापू सबसे आगे हैं।
उनके खिलाफ पूरा केस बोगस है । यह मेरे कानूनी सलाहकारों का मत और निर्णय है।

एफआईआर के लिए दिल्ली को क्यों चुना?
संदिग्ध देरी और दिल्ली पुलिस पर राजनीतिक दबाव
लड़की उत्तरप्रदेश की है, वह मध्यप्रदेश में पढ़ाई कर रही थी जबकि कथित घटना जोधपुर में होना बताया गया है। तो फिर कथित घटना के 5 दिन बाद दिल्ली के कमला मार्केट पुलिस स्टेशन में एफआईआर क्यों दर्ज की गई और वह भी रात को पौने तीन बजे। पांच दिन का विलंब क्यों?
यह भी बताया गया है कि एफआईआर दर्ज करने से पहले लड़की के माता-पिता ने पूज्य बापूजी से विद्वेष रखनेवाले कुछ राजनेताओं से मुलाकात की थी ।
“एफआईआर में बलात्कार का कोई आरोप नहीं है और दिल्ली से मिली मेडिकल रिपोर्ट में बलात्कार की पुष्टि नहीं हुई है” – डीसीपी अजय पाल लांबा, जोधपुर (अधिकारी को इसके तुरंत बाद हटा दिया गया)
लड़की की शिकायत के आधार पर द्वारा दर्ज की गई एफआईआर में ‘बलात्कार ’का आरोप नहीं है फिर बापूजी को बलात्कार की गैर-जमानती धारा के तहत क्यों फँसाया गया? लड़की की मेडिकल रिपोर्ट सामान्य है तो फिर मीडिया ने मेडिकल परीक्षण में बलात्कार की पुष्टि होने का झूठ क्यों फैलाया?
जोधपुर पुलिस ने दिनांक 26-08-2013 को लगभग 1 बजे एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पुष्टि की कि “एफआईआर में लड़की द्वारा बलात्कार का कोई आरोप नहीं लगाया गया है और मेडिकल रिपोर्ट में बलात्कार की पुष्टि नहीं हुई है” तो ऐसा क्या हुआ कि छह घंटे बाद उसी दिन, उसी पुलिस ने धारा 376 हटाने से इनकार कर दिया? और उस पुलिस अधिकारी को मामले की जाँच से क्यों हटा दिया गया? स्पष्ट है कि पुलिस किसी राजनीतिक दबाव में है।
यह भी बताया गया है कि एफआईआर दर्ज करने से पहले लड़की के माता-पिता ने पूज्य बापूजी से विद्वेष रखनेवाले कुछ राजनेताओं से मुलाकात की थी ।


“तथाकथित घटना के समय आश्रम में न तो लड़की और न ही पूज्य बापूजी ही उपस्थित थे। जांच में यह तथ्य साबित हुआ है। ”- श्री सुब्रमण्यम स्वामी
जांच में टेलीफोन रिकॉर्ड से यह पता चला है कि घटना के समय शिकायतकर्ता लड़की आश्रम में मौजूद नहीं थी। वह अपने प्रेमी के साथ मोबाइल पर बातचीत कर रही थी और यह पाया गया कि वह कहीं और थी तथा उसी समय बापूजी भी वहां मौजूद नहीं थे और खास मेहमान के रूप में एक विवाह समारोह में मौजूद थे ।

“मैं कोई विवाद खड़ा करना नहीं चाहती हूँ लेकिन मेरे माता-पिता इसके लिए दबाव डाल रहे हैं। मुझे जो सिखाया है वही मैं बोल रही हूँ ।”- शिकायतकर्ता ने उसकी सहेली को फोन पर बताया
शिकायतकर्ता की एक सहेली जो उसकी सहपाठी है, ने सामने आकर बताया कि शिकायतकर्ता ने फोन पर उससे बात में कबूल किया कि वह कोई विवाद खड़ा करना नहीं चाहती हैं लेकिन उसके माता-पिता इसके लिए दबाव डाल रहे हैं।” कुछ मीडिया चैनलों ने इस खबर को पल-भर के लिये दिखाया भी लेकिन फिर उससे किनारा कर लिया, ऐसा क्यों?
“मुझे नोटों का बंडल दिखाया गया था, मैं लालच में आ गया था और आशारामजी बापू को फंसाने के लिए मुझे दबाव डालकर पूर्वनियोजित स्क्रिप्ट पढ़ने के लिए मजबूर किया गया था” – भोलानंद
सूरत में 16 मार्च 2014 को होली संत सम्मेलन में संत-महात्माओं और हजारों लोगों के उपस्थिति में भोलानंद ने हिम्मत करके पूरी कहानी का खुलासा किया कि कैसे उसे कुछ समाचार चैनलों और षड्यंत्रकारियों द्वारा इस्तेमाल किया गया है, कैसे उसे नोटों का बंडल दिखाकर लालच दिया गया, शारीरिक रूप से भी प्रताडि़त कर उसे आशारामजी बापू को फंसाने के लिए पूर्व नियोजित स्क्रिप्ट पढ़ने के लिए मजबूर किया गया।
भोलानंद ने षड़यंत्रकारियों सहित टीवी चैनलों के मालिकों के असली नाम बताते हुए पूरी कहानी सुनाई कि कैसे उन सबकी टीम आशाराम बापू को हमेशा के लिये सलाखों के पीछे भेजने के प्रोजेक्ट के लिये बिक कर काम कर रही थी ।


“माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सूचीबद्ध किये गये सभी गवाह न केवल जीवित हैं बल्कि अदालत में उनके बयान भी लिये गये हैं।” – श्री सुब्रमण्यम स्वामी
कई मीडिया चैनलों ने यह प्रचारित किया कि आशारामजी बापू के केस के गवाहों को धमकाया गया है और उन पर हमला किया गया है। इस वीडियो में श्री सुब्रमण्यम स्वामी इस बात की पुष्टि कर रहे हैं कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सूचीबद्ध किये गये सभी गवाह न केवल जीवित हैं बल्कि अदालत में उनके बयान भी लिये गये हैं। जिन मृत व्यक्तियों को हमारे केस में गवाह बताया जा रहा है केस के दस्तावेजों में कहीं भी उनके नाम नहीं है । इससे यह स्पष्ट है कि कोई व्यक्ति पैसा खर्च करके मीडिया में इस तरह की झूठी खबरें प्रसारित करा रहा है।
यह स्पष्ट है कि आशारामजी बापू को फंसाने की बहुत गहरी साजिश है !