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ISBN (Paper Back): | "978-93-89972-81-8" |
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” श्रीगुरुगीता ” भगवान शंकर और पार्वतीजी के संवाद से प्रकट हुई ज्ञान-गंगा का संग्रह यह ‘गुरुगीता’रूपी अमृत कुम्भ है । इसमें वर्णित ज्ञान भवरोग निवारण के लिए अमोघ औषधि है । गुरुभक्तों के लिए यह परम अमृत है । गुरुगीता सर्व पाप को हरनेवाली और सर्व दारिद्र्य का नाश करनेवाली है । यह अकाल मृत्यु को रोकती है, सब संकटों का नाश करती है, नवग्रहों के भय को हरती है । इस गुरुगीता का पाठ करने से महाव्याधि दूर होती है, सर्व ऐश्वर्य और सिद्धियों की प्राप्ति होती है । नित्य पठनीय ‘श्रीगुरुगीता’ में है :
* भगवान शिवजी द्वारा पार्वतीजी को दिया गया गुरु-महिमा संबंधी उपदेश, जिसे जानना है सभीके लिए कल्याणप्रद
* श्रीगुरुगीता के पाठ से पहले किये जानेवाला विनियोग व न्यासादि की विधि
* गुरुगीता के पाठ से होनेवाले लाभों का वर्णन (स्वयं भगवान शिवजी के श्रीमुख से)
* सभी दुःखों, भय, विघ्न और संताप का नाशक उपाय
* धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति हेतु सरल मार्गदर्शन
* मोक्ष का द्वार : ब्रह्मवेत्ता सद्गुरु
* गुरुकृपा हि केवलं शिष्यस्य परं मंगलम् ।
* नास्ति तत्त्वं गुरोः परम् ।
* ब्रह्मवेत्ता सद्गुरु : ईश्वर का साकार स्वरूप
* गुरु में भगवद्बुद्धि
* श्रीमद्भागवत एवं अन्य सद्ग्रंथों में वर्णित गुरु की महत्ता
* भगवान श्रीरामजी, श्रीमद् आद्य शंकराचार्यजी, संत कबीरजी, संत तुलसीदासजी, संत रज्जबजी, संत निश्चलदासजी, गुरु नानकदेवजी, स्वामी श्री लीलाशाहजी महाराज, श्री रमण महर्षि, स्वामी रामतीर्थ, संत श्री आशारामजी बापू, स्वामी विवेकानंदजी, बाबा फरीद, संत एकनाथजी, स्वामी दयानंदजी जैसे अनेक अवतारों एवं संतों द्वारा बतायी गयी गुरु की महिमा
* नीर-क्षीर विवेक
* धन्य हैं उन गुरुभक्तों को !
* गुरुभक्तों के प्रेरणादायी जीवन-प्रसंग
* गुरु-शिष्य संबंध : जीवन का महानतम संबंध – स्वामी विवेकानंदजी
* हो गयी रहमत तेरी… (भजन)
* मस्ताना हो गया हूँ… (भजन)
* सद्गुरु का प्यार लिख दे (भजन)
ISBN (Paper Back): | "978-93-89972-81-8" |
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