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ISBN Number (PAPERBACK) | "978-93-89972-66-5" |
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ISBN Number (E-BOOK)) | "978-93-90235-29-2" |
मन को सीख
मनुष्य का मन ही सुख-दुःख, शांति-अशांति, लाभ-हानि, स्वर्ग-नरक की कल्पना करता है और उसी प्रकार की सृष्टि का सृजन करता है । ‘जिसने मन जीता, उसने जग जीता ।’ मन को जीतने का प्रयास करना यही पुरुषार्थ है । मन को महापुरुषों द्वारा बतायी हुई युक्तियों से ही जीता जा सकता है । मन को जीतने के लिए भगवत्पाद साँईं श्री लीलाशाहजी महाराज द्वारा बतायी युक्तियों का संकलन है पुस्तक ‘मन को सीख’ । इसमें है :
* क्यों 24 घंटे रखें मन पर जाग्रत पहरा ?
* मन को कभी फुर्सत क्यों न दें ?
* मन को प्रतिदिन दुःखों का स्मरण कराओ
* मन की अटपटी चाल को समझिये
* मन का नशा कैसे उतारें ?
* कैसे देखें मन को ?
* मन के मायाजाल से ऐसे बचें…
* भोजन के विषय में संतों-महापुरुषों द्वारा बतायी हुईं कुछ ध्यान देने योग्य बातें
* पतित विचारों और पतित कार्यों से बचने के लिए…
* अपने चित्त की समता न खोयें
* यह भी बीत जायेगा
* मंगलमय दृष्टि रखें
* सत्पुरुषों का सान्निध्य क्यों ?
* विवेक क्या है ?
* आप दुःखी क्यों हैं ?
* यह क्या है साधना या मजदूरी ?
* क्या सत्संग का प्रभाव रक्त पर पड़ता है ?
* साष्टांग दंडवत् प्रणाम किसलिए ?
* विवेकसम्पन्न पुरुष की महिमा
Lesson to the Mind
It is only the mind which imagines pleasure-pain, peace-unrest, benefit-loss, heaven-hell, etc., and creates the world accordingly. ‘If one conquers the mind, one has conquered the world.’ The only worthy endeavour is to conquer the mind and it can verily be accomplished through the techniques taught by Saints. This book, ‘Lesson to the mind’ is a compilation of invaluable techniques to conquer the mind, imparted by Bhagavatpāda Sāi Shrī Līlāshāhji Mahārāj. This book comprises of:
ISBN Number (PAPERBACK) | "978-93-89972-66-5" |
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ISBN Number (E-BOOK)) | "978-93-90235-29-2" |
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