
बापूजी ने अपने जीवन के 50 से अधिक वर्ष लोगों के आध्यात्मिक उत्थान के लिए न्यौछावर किये हैं। उन्होंने 50 वर्षों में जीवन शैली को पूर्णत: धर्ममय बनाते हुए आध्यात्मिक उत्थान के पथ पर 6 करोड़ अनुयायियों का विशाल तंत्र तैयार किया है। इन अनुयायियों के व्यसनमुक्त रहने से कई बहुराष्ट्रीय कंपनियों को भारी आर्थिक नुकसान पहुंचा है।
ऑंकड़े बोलते हैं
पूज्य बापूजी के 6 करोड़ अनुयायी किसी को अतिशयोक्ति प्रतीत हो रही हो और इसे 2 करोड़ भी मान लें तो भी 20 साल में 2 करोड़ लोग शराब का सेवन नहीं करते हैं तो लगभग 1882000 करोड़ रुपये बचते है। यदि हम धूम्रपान के संदर्भ में बचत की गणना करते हैं तो यह राशि 1136000 करोड़ रुपये होती है।


इसी प्रकार गुटखा, चाय, शीतल पेय, अंडे और मांस की खपत से बचायी गयी राशि की गणना भी आसानी से की जा सकती है। ब्रह्मचर्य पालन का दृढ़संकल्प, सेक्स इंडस्ट्रियल कॉम्प्लेक्स (पोर्नोग्राफ़ी भद्दे संगीत, कंडोम, एड्स की दवाओं के निर्माता और वितरक आदि) के लिये बहुत बडे नुकसान का कारण है। यदि हम इन सभी से बचायी गयी राशि को जोड़ते हैं तो कम से कम में भी यह राशि सैंकड़ो लाख करोड़ रूपये होती है।
इसलिये यह कोई बड़ी बात नहीं है कि अगर उन कंपनियों को खरबों रूपये का नुकसान उठाना पड़ा है तो बापूजी को बदनाम करने के लिए वे कुछ अरब खर्च करने का निर्णय ले लें ।
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