
आशारामजी बापू एक सच्चे देशभक्त और राष्ट्रवादी हैं और इसी पर बल भी देते हैं । उनका सत्साहित्य आध्यात्मपिपासुओं का चैतन्य परमात्मा की ओर पथप्रदर्शन करने के अलावा लोगों में स्वास्थ्य से लेकर शांतिपूर्ण पारिवारिक जीवन में उचित जीवन शैली तक के बडे दायरे को भी प्रकट करता है । साधक परिवार और बाल संस्कार केंद्रों के बच्चों को बचपन से मातृभूमि का सम्मान करने, अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और हिंदू धर्म पर गर्व करना सिखाया जाता है।
बापूजी ने आध्यात्म साधना के लिए भारत और विदेशों में 425 आश्रम बनाये हैं, 1400 योग वेदांत सेवा समितियां और 17000 बाल संस्कार केंद्रों में युवाओं को प्रशिक्षित कर उन्हे श्रेष्ठ नागरिक बनाया जाता है, 50 गुरुकुलों में बच्चों को आध्यात्मिक मूल्यों के साथ आधुनिक शिक्षा दी जाती है ।

अक्टूबर 2005 में डलास क्रिश्चियन कॉन्क्लेव में रेवरेंड पैट रॉबर्टसन द्वारा 100 मिलियन हिंदू धर्मान्तरण का लक्ष्य घोषित किया गया था |

ईसाई मिशनरियां ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में धन, निशुल्क घरेलू सामग्री और आशीर्वाद से बीमारियां दूर करने का प्रलोभन देकर हर साल लाखों गरीब हिंदुओं का धर्मान्तरण कर रही है । हकीकत तो यह है कि रातों-रात गांव के गांव धर्मान्तरित कर दिये गये हैं । वर्ष 2005 में आंध्रप्रदेश के आंगोल गाँव में केवल एक रात में 15018 हिंदुओं को धर्मान्तरित कर दिया गया था ।
धर्मान्तरण पर अप्रत्यक्ष रोक

पिछले कुछ वर्षों से पूज्य बापूजी गुजरात, राजस्थान और मध्य प्रदेश में धर्मान्तरित लोगों को उनके मूल धर्म यानी हिंदू धर्म में वापस लाने के लिए एक अभियान चला रहे हैं, जो विदेशी ईसाई मिशनरियों और कुछ विदेशी एनजीओ को रास नहीं आ रहा है।
वीडियो लिंक में डॉ. सुमन कुमार (पूर्व नाम रॉबर्ट सोलोमन, जकार्ता, इंडोनेशियाई मूल ) कबूल कर रहे हैं कि वे जबरन गरीब हिंदुओं को ईसाई धर्म में परिवर्तित करनेवाली ईसाई मिशनरियों के लिए काम करते थे।
भारतीय संस्कृति का अध्ययन करने के बाद उन्होने अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया और खुद हिंदू बन गये और अब उन भारतीय-ईसाइयों को फिर से हिंदू धर्म में लाने के लिए काम कर रहे हैं!
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