20Jun
ग्रीष्म ऋतु में अत्यधिक दुर्बलता को प्राप्त हुए शरीर को वर्षा ऋतु में धीरे-धीरे बल प्राप्त होने लगता है। आर्द्र (नमीयुक्त) वातावरण जठराग्नि को मंद कर देता है।
ग्रीष्म ऋतु में अत्यधिक दुर्बलता को प्राप्त हुए शरीर को वर्षा ऋतु में धीरे-धीरे बल प्राप्त होने लगता है। आर्द्र (नमीयुक्त) वातावरण जठराग्नि को मंद कर देता है।
प्रदीप्त जठराग्नि के कारण शीत ऋतु पौष्टिक व बलवर्धक आहार-सेवन के लिए अनुकूल होती है । इस ऋतु में रुक्ष पदार्थों के सेवन एवं अति अल्पाहार से व अधिक उपवास से शारीरिक धातुओं का ह्रास होकर शरीर दुर्बल हो...
शरद ऋतु में ध्यान देने योग्य महत्त्वपूर्ण बातें : (1) रोगाणां शारदी माता । रोगों की माता है यह शरद ऋतु । वर्षा ऋतु में संचित पित्त इस ऋतु में प्रकुपित होता है । इसलिए शरद पूर्णिमा की चाँदनी...