यहाँ कुछ ऐसे पदार्थ दिये जा रहे हैं जिनका सेवन भिगोकर करने से वे सुपाच्य व विशेष गुणकारी बनते हैं । भिगोये हुए इन पदार्थों में पोषक तत्त्वों की उपलब्धता अपेक्षाकृत अधिक मात्रा में होती है । परंतु आयुर्वेद में अंकुरित अनाज के सेवन को अनेक प्रकार के दोषों को उत्पन्न करनेवाला बताया गया है इसलिए भिगोये हुए पदार्थों को अंकुरित होने से पहले ही सेवन करें ।
काले चने
भिगोये हुए काले चने बलवर्धक, पित्तशामक, वातवर्धक तथा शुक्र धातु को गाढ़ा करनेवाले होते हैं । इनमें प्रोटीन भी भरपूर होते हैं, जो मांसपेशियों को मजबूत बनाने में सहायक हैं ।
* उत्तम पाचनशक्तिवाले व्यक्ति 25-30 ग्राम देशी काले चने 10-15 ग्राम त्रिफला चूर्ण* के साथ 1 गिलास पानी में शाम को मिट्टी के बर्तन में भिगवा दें । सुबह चने खूब चबा-चबाकर खायें । ऐसा 40 दिन करने से रक्त शुद्ध हो जायेगा और धातुएँ पुष्ट होंगी । चने खाने से पूर्व थोड़ी कसरत कर लेना उत्तम होता है ।
* भिगोये हुए चने के जल में शहद* मिलाकर पीने से वीर्य-स्तम्भन शक्ति में वृद्धि होती है । नपुंसकता में लाभ होता है । स्वरशुद्धि होती है तथा मूत्र खुलकर आता है ।
मेथीदाना
मेथीदाना कब्ज को दूर कर आँतों को साफ रखने में मदद करता है । यह कैल्शियम का उत्तम स्रोत है । यह जोड़ों का दर्द व मधुमेह (diabetes) के रोगियों के लिए फायदेमंद है । मासिक धर्म के समय होनेवाली पीड़ा को भी यह कम करता है ।
* 2 चम्मच मेथीदाना 200 मि.ली. पानी में रातभर भिगोकर रखें । सुबह धीमी आँच पर आधा पानी शेष रहने तक उबालें । छानकर मेथीदाना खायें व जल गुनगुना रहने पर 2 चम्मच शुद्ध शहद मिला के पियें । दिनभर शक्ति व स्फूर्ति बनी रहेगी ।
मधुमेहवाले शहद का उपयोग न करें ।
मुनक्का एवं किशमिश
मुनक्के के नित्य सेवन से थोड़े ही दिनों में रस, रक्त, शुक्र आदि धातुओं तथा ओज की वृद्धि होती है । इसमें मैग्नेशियम, पोटैशियम व लौह तत्त्व काफी मात्रा में होते हैं । पथरी के मरीजों के लिए मुनक्का फायदेमंद है ।
किशमिश* दूध की अपेक्षा शीघ्र पचती है । दूध के लगभग सभी तत्त्व किशमिश में पाये जाते हैं । इसमें एंटी ऑक्सीडेंट्स भरपूर मात्रा में होते हैं ।
रात्रि को भिगोयी हुई किशमिश या मुनक्के को सुबह नियमितरूप से खाने से त्वचा स्वस्थ और चमकदार बनती है ।
किशमिश और मुनक्के खून की कमी (anaemia) से पीड़ित मरीजों के लिए फायदेमंद हैं । इनकी शर्करा शरीर में अति शीघ्र पचकर आत्मसात् हो जाती है, जिससे शीघ्र ही शक्ति व स्फूर्ति प्राप्त होती है । इन्हें अच्छी तरह धोकर उपयोग करें । एक इंजीनियर साधक ने यहाँ तक संदेशा भेज दिया था कि बापूजी को प्रार्थना करो : ‘किशमिश, मुनक्का नहीं खायें । जंतुओं से रक्षा के लिए इन पर जो दवाइयाँ छिड़की जाती हैं वे काफी जहरीली होती हैं ।’ फिर भी प्रयोग करने से पूर्व कई बार धोते हैं अच्छी तरह से और उपयोग करते हैं । आप भी यह सावधानी बरतें । गोमूत्र (या गोमूत्र अर्क*) की कुछ बूँदें पानी में डाल के उससे भी कभी धोते हैं । 3-4 बार तो अच्छी तरह धोना ही चाहिए । मुनक्के बीजसहित खाने चाहिए ।
Ref: ISSUE323-November-2019
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