लौंग गुणों की खान है । मसालों में इसका महत्त्वपूर्ण स्थान है । इसका सर्वाधिक उपयोग आयुर्वेदिक दवाइयों के निर्माण तथा खाद्य-परिरक्षण में किया जाता है ।
लौंग सुगंधयुक्त, पाचक, जठराग्निवर्धक, रुचिकर, दुर्गंधनाशक, श्वेत रक्तकणवर्धक, घाव को भरने व शुद्ध करनेवाला, कृमि व कफ नाशक तथा खुल के पेशाब लानेवाला है । यह पेट-दर्द, अफरा, अजीर्ण, खाँसी, उलटी, हैजा (कॉलरा), क्षयरोग (टी.बी.), तृषा (प्यास) आदि में उपयोगी है ।
सरल घरेलू उपचार
मंदाग्नि व निर्बलता : लौंग व छोटी पीपल के समभाग चूर्ण को एक ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम शहद के साथ चाटने से ज्वर के बाद की मंदाग्नि व निर्बलता दूर होती है ।
दूध की वृद्धि : दूध पिलानेवाली माँओं में दूध की कमी होने पर उन्हें 2 लौंग का चूर्ण शहद अथवा दूध के साथ सुबह-शाम चटाने से दूध की वृद्धि होती है तथा दूध शुद्ध हो जाता है ।
गर्भावस्था की समस्याएँ : गर्भवती महिलाओं को मिचली, उलटी, चक्कर आते हों तो 1-2 लौंग व 2 इलायची थोड़ा-सा पानी डाल के पीस लें । इस मिश्रण को शहद में मिला के दिन में 1-2 बार चटायें ।
शक्ति व स्फूर्ति के लिए : लौंग, जायफल और जावित्री बराबर मात्रा में ले के चूर्ण बनायें एवं इस चूर्ण में उतनी ही मिश्री मिलाकर रख लें । 4 ग्राम मिश्रण सुबह-शाम मलाईदार दूध के साथ सेवन करें । यदि आपके शरीर की प्रकृति शीत-प्रधान है तो इस मिश्रण का सेवन शहद के साथ करें ।
दाँतदर्द व मुख की दुर्गंध : (1) 4 लौंग पीसकर उनमें नींबू का रस मिला के दाँतों और मसूड़ों की धीरे-धीरे मालिश करें । इससे दर्द दूर होगा एवं मसूड़े भी स्वच्छ हो जायेंगे ।
(2) 4 लौंग पीसकर 1 गिलास पानी में उबालें । दिन में 3-4 बार इस पानी से कुल्ला करें । 2-3 दिन तक यह प्रयोग करने से दाँतों का दर्द व मुख की दुर्गंध दूर हो जाती है ।
गले की खराश : नमक के साथ लौंग चबाने से गले की खिचखिचाहट व खराश में फायदा होता है और गले को आराम मिलता है ।
कफ : 1-2 लौंग मुँह में रखकर चूसने से कफ आराम से निकलता है, जिससे मुख की दुर्गंध भी समाप्त होती है ।
सिरदर्द : (1) 4-5 लौंग एक कप पानी में अच्छी तरह उबालें, फिर थोड़ी-सी मिश्री मिलायें व ठंडा होने पर घूँट-घूँट पियें । इससे कफ से होनेवाले सिरदर्द में आराम मिलता है ।
(2) लौंग को पीसकर माथे और कनपटी पर लेप करने से भी सिरदर्द में आराम मिलता है ।
दाँतों में कीड़ा : कीड़े के कारण रह-रहकर दर्द होता हो तो उस पोली दाढ़ पर या दुखते दाँत पर लौंग रख के अथवा लौंग के तेल में रूई का फाहा भिगो के दबाकर रखें ।
सावधानी : शुद्ध लौंग की पहचान यह है कि उसे नाखून से दबाने पर उसमें से तेल निकलता है तथा पानी में डालने पर वह डूब जाता है । लौंग आदि सुगंधित पदार्थों का चूर्ण आवश्यकतानुसार ताजा बना के उपयोग में लेना चाहिए अन्यथा उनमें से उड़नशील तेल उड़ जाता है, जिससे उनका गुण कम हो जाता है । लौंग का अधिक मात्रा में सेवन करने से आँखों, मूत्राशय एवं हृदय पर अनिष्ट प्रभाव पड़ता है ।
REF: LKS-ISSUE223-JANUARY-2016
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