स्वास्थ्य एवं शक्ति वर्धक टॉनिक
* प्रकृति के सर्वोत्तम एंटी ऑक्सीडेंट और इम्यूनिटी बूस्टर गौझरण से निर्मित ‘संजीवनी रस’ एक सुधुर व सुगंधित पेय है । यह जंगलों में चरते हुए अनेक प्रकार की जड़ी-बूटियों का सेवन करनेवाली उत्तम नस्ल की ‘गीर’ गायों से प्राप्त गौझरण से बनाया गया है ।
* यह कैल्शियम, लौह, फॉस्फोरस, मैग्नेशियम, जस्ता जैसे अनेक खनिजों, विटामिन्स और शरीर के लिए आवश्यक कई एंजाइम्स का उत्तम स्रोत है ।
* एनालिटिकल लेबोरेटरीज ने यह सिद्ध किया है कि 1 लीटर संजीवनी रस लगभग 9 मिलीग्राम सोना और 5 मिलीग्राम चाँदी प्रदान करता है, जो शरीर के निर्माण, मस्तिष्क के पोषण और बुद्धि बढ़ाने में मदद करते हैं ।
* यह उत्कृष्ट प्रीबायोटिक और प्रोबायोटिक होने से विटामिन बी 12 वर्धक है । 30 मि.ली. संजीवनी रस एक दिन के लिए आवश्यक विटामिन बी 12 की आपूर्ति सहजता से करता है ।
* यह शरीर में जमा हुए विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालकर प्रतिरक्षा प्रणाली को सशक्त बनाने में मदद करता है और हानिकारक कोलेस्ट्रॉल व यूरिक एसिड को नियंत्रित करता है ।
* इसमें निहित शिलाजीत ह्यूमिक एसिड और फुल्विक एसिड का एक उत्तम स्रोत है, जो विषनाशक, एंटी ऑक्सीडेंट और स्फूर्तिदायक गुणों के लिए जाने जाते हैं । 30 मि.ली. संजीवनी रस हमें शिलाजीत के 500 मिलीग्राम के 1 कैप्सूल के लगभग शिलाजीत देता है । शिलाजीत हड्डियों व जोड़ों को मजबूत बनाता है तथा वीर्य, बल व आयु वर्धक रसायन है ।
* यह भूख बढ़ानेवाला, पेट साफ करनेवाला तथा कफ व वायु दोष को संतुलित करनेवाला पेय है ।
* विशेष रूप से कई गम्भीर वायरल संक्रमणों के खिलाफ यह तत्काल प्रतिरक्षा बूस्टर के रूप में कार्य करता है ।
* गम्भीर रोगावस्था में, जब ऑक्सीजन-स्तर (Oxygen level) निम्न हो जाता है तब यह उसे शीघ्र बढ़ाता है ।
* हीमोग्लोबिन व प्लेटलेट्स बढ़ाता है ।
* इसमें निहित यूरोकायनेज (Urokinase) रक्त के थक्कों (Blood clots)) को पिघलाता है । हृदयरोगी जीवनभर एस्पिरिन जैसी रक्त को पतला रखनेवाली औषधियों का सेवन करते हैं, उनके लिए यह वरदानस्वरूप है ।
* गम्भीर रोगों से ग्रस्त असंख्य व्यक्तियों को इसके सेवन से नया जीवन प्राप्त हुआ है ।
चिकित्सक के मार्गदर्शन में संजीवनी रस का उपयोग निम्नलिखित रोगों में सफलतापूर्वक किया जा सकता है : कैंसर (सभी प्रकार के), गाँठें, हृदयरोग, किडनी अकर्मण्यता (Renal failure), मधुमेह (Diabetes), दमा (Asthma), ब्रोंकाइटिस, उच्च रक्तचाप (High B.P.), रक्ताल्पता (Anaemia), सूजन, मोटापा, अम्लपित्त (Hyperacidity), भूख न लगना, कब्ज, सिरदर्द, माइग्रेन, खुजली, कील-मुँहासे, सोरायसिस, कुष्ठरोग, एलर्जी, पीलिया, हेपेटाइटिस,
अग्नाशयशोथ (Pancreatitis), यकृत विकार (Liver disorders), विषाणु संक्रमण जन्य बुखार, इंफ्लुएंजा, डेंगू, चिकनगुनिया, न्यूोनिया, सामान्य सर्दी और बुखार, अस्थिक्षय (Osteoporosis), वातरक्त (Gout), संधिवात (Arthritis), मांसपेशियों में दर्द, स्पॉन्डिलाइटिस, पित्ताशय की पथरी, गुर्दे की पथरी, अंडाशय की गाँठें (PCOD), गर्भाशय की गाँठें (Fibroids), एड़्स, यौनरोग, टी.बी. (Tuberculosis), उन्माद (Schizophrenia), अपस्मार (Epilepsy), हाथीपाँव, हाइपोथायरॉयडिज्म, कद न बढ़ना, बेरीबेरी, सूखा रोग (Rickets), आंत्रवृद्धि (Hernia), पक्षाघात (Cerebral stroke), प्रोस्टेट का बढ़ना, अनिद्रा, बालों की समस्याएँ आदि ।
संजीवनी रस न केवल रोगों का कुशलता से इलाज करता है अपितु अनेक रोगों के प्रति मजबूत सुरक्षा भी प्रदान करता है ।
मात्रा व सेवन-विधि : 20 से 30 मि.ली. संजीवनी रस (बच्चों के लिए 10 से 15 मि.ली.) 150 से 200 मि.ली. पानी में मिलाकर सुबह खाली पेट अथवा वैद्यकीय सलाहानुसार लें ।
टॉनिक के रूप में 3 महीने तक लगातार ले सकते हैं । रोगों के उपचार में वैद्यकीय सलाह से उपरोक्त मात्रा में दिन में 2 से 3 बार लम्बे समय तक ले सकते हैं ।
Note: – ये संत श्री आशारामजी आश्रमों में सत्साहित्य सेवा केन्द्रों से तथा समितियों से प्राप्त हो सकता है ।
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