पका आम खाने से सातों धातुओं की वृद्धि होती है। पका आम दुबले-पतले बच्चों, वृद्धों व कृश लोगों को पुष्ट बनाने हेतु सर्वोत्तम औषध और खाद्य फल है।
पका आम चूसकर खाना आँखों के लिए हितकर है। यह उत्तम प्रकार का हृदयपोषक है तथा शरीर में छुपे हुए विष को बाहर निकालता है। यह वीर्य की शुद्धि एवं वृद्धि करता है। शुक्रप्रमेह आदि विकारों और वातादि दोषों के कारण जिनको संतानोत्पत्ति न होती हो उनके लिए पका आम लाभकारक है।
इसके सेवन से शुक्राल्पताजन्य नपुंसकता, दिमागी कमजोरी आदि रोग दूर होते हैं।
जिस आम का छिलका पतला एवं गुठली छोटी हो, जो रेशारहित हो तथा जिसमें गर्भदल अधिक हो, ऐसा आम मांस धातु के लिए उत्तम पोषक है।
शहद के साथ पके आम के सेवन से क्षयरोग ज एवं प्लीहा के रोगों में लाभ होता है। वायु और कफदोष दूर होते हैं। आम के रस में घी और सौठ डालकर सेवन करने से यह जठराग्निदीपक, बलवर्धक तथा वायु व पित्तदोष नाशक बनता है वायु रोग हो अथवा पाचनतंत्र न हो तो आम के है रस में अदरक का रस मिलाकर लेना हितकारी है।
यदि एक वक्त के आहार में सुबह या शाम केवल आम चूसकर जरा-सा अदरक लें तथा डेढ़ दो घंटे बाद दूध पियें तो ४० दिन में शारीरिक बल बढ़ता है तथा वर्ण में निखार आता है, साथ ही शरीर पुष्ट व सुडौल हो जाता है।
आम और दूध का एक साथ सेवन आयुर्वेद की दृष्टि से विरुद्ध आहार है, जो आगे चलकर चमड़ी के रोग उत्पन्न करता है।
लम्बे समय तक रखा हुआ बासी रस वायुकारक, पाचन में भारी एवं हृदय के लिए अहितकर है। अतः बाजार में बिकनेवाला डिब्बाबंद आम का रस स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है।
यूनानी के मतानुसार, पका आम आलस्य को दूर करता है, मूत्र साफ लाता है, क्षयरोग मिटाता है, गुर्द एवं बस्ति (मूत्राशय) के लिए शक्ति दायक है ।
कच्चा, स्वाद में खट्टा तथा तिक्त आम खाने से लाभ के बजाय हानि हो सकती है। कच्चा आम खाना हो तो उसमें गुड, धनिया, जीरा और नमक मिलाकर खा सकते हैं।
Ref: RP-ISSUE125
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