खीरा एवं ककड़ी जहाँ गर्मियों में विशेष लाभकारी हैं, वहीं ककड़ी एव विशेषतः खीरे के बीज पौष्टिक होने के साथ कई प्रकार की बीमारियों में भी बहुत उपयोगी हैं। खीरे के बीजों को सुखाकर छील के रख लें।
खीरे के बीजों में छुपा बीमारियों का इलाज
* १० सूखे बीज १ चम्मच मक्खन के साथ १ माह तक देने से कमजोर बालक पुष्ट होने लगते हैं। बड़ों को ३० बीज १ चम्मच घी के साथ देने से उन्हें भी लाभ होता है।
* जलन के साथ व अल्प मात्रा में मूत्र प्रवृत्ति में ताजे बीज अथवा ककड़ी या खीरा खाने से अतिशीघ्र लाभ होता है।
* जिन्हें बार-बार पथरी होती हो वे प्रतिदिन ४ माह तक ३० सूखे बीज भोजन से पूर्व खायें तो पथरी बनने की प्रवृत्ति बंद हो जायेगी।
* पेशाब के साथ खून आने पर १-१ चम्मच बीजों का चूर्ण व गुलकंद तथा १ चम्मच आँवला-रस या चूर्ण मिला के १-२ बार लें, खूब लाभ होगा।
* शवेतप्रदर में १ चम्मच बीज-चूर्ण, १ केला, पिसी मिश्री मिलाकर दिन में १-२ बार लेने से बहुत लाभ होता है।
ककड़ी एवं खीरे के कुछ खास
प्रयोग
* गर्मी के कारण सिरदर्द, अस्वस्थता, पेशाब में जलन हो रही हो तो १ कप ककड़ी के रस में १ चम्मच नींबू रस तथा १ चम्मच मिश्री डालकर लेने से पेशाब खुल के आता है और उपरोक्त लक्षणों से राहत मिलती है।
* चेहरे के कील-मुँहासे मिटाने के लिए ककड़ी या खीरे के पतले टुकड़े चेहरे पर लगायें। आधा घंटे के बाद चेहरा धो दें।
* तलवों व आँखों की जलन में ककड़ी, ताजा नारियल व मिश्री खाना उत्तम लाभ देता है।
सावधानी : खीरा या ककड़ी ताजी ही खानी चाहिए। सर्दी, जुकाम, दमा में इनका सेवन नहीं करना चाहिए। इन्हें रात को नहीं खाना चाहिए। खीरा या ककड़ी भोजन के साथ खाने की अपेक्षा स्वतंत्र रूप से खाना अधिक हितकर है।
ऋषि प्रसाद मई २०१६
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