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Jul
लाभ :
* यह श्वासकोशों के दोषों का निवारण करती है ।
* दमा (Bronchial asthma) की बीमारी में लाभदायी है ।
* भय, उद्वेग, दुःख, अतृप्ति आदि में भी उपयोगी है ।
विधि : कनिष्ठिका को अँगूठे के मूल में, अनामिका को अँगूठे के बीच में तथा बीच की उँगली को अँगूठे के छोर से स्पर्श करायें । तर्जनी को सीधी रखें । यह ‘श्वास मुद्रा’ या ‘दमा मुद्रा’ कहलाती है । रोज 15-20 मिनट तक इसका अभ्यास कर सकते हैं ।
(साभार : ऋषि प्रसाद, अगस्त 2017)
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