रोगों से रक्षा के लिए जठराग्नि को प्रदीप्त रखना अत्यंत आवश्यक है । इसके लिए अदरक का सेवन विशेष हितकारी है । आयुर्वेद के ग्रंथ भावप्रकाश निघंटु में आता है :
भोजनाग्रे सदा पथ्यं लवणार्द्रकभक्षणम् ।
अग्निसन्दीपनं रुच्यं जिह्वाकण्ठविशोधनम् ।।
‘भोजन से (आधा घंटा) पहले (सेंधा) नमक व अदरक का सेवन करना सदा पथ्यकर है । यह जठराग्नि को प्रदीप्त करनेवाला, रुचिकारक तथा जिह्वा व कंठ की शुद्धि करनेवाला है ।’
अदरक उष्ण, तीक्ष्ण, वात-कफशामक, भूख व भोजन में रुचि बढ़ानेवाला एवं भोजन पचाने में सहायक है । अदरक को सुखाकर बनायी गयी सोंठ सप्तधातुओं का निर्माण कर वीर्यवर्धन का कार्य करती है । अदरक तथा सोंठ वात एवं आमदोष को मिटाकर दर्दनाशक का कार्य करते हैं । अदरक हृदय एवं रक्तवहन संस्थान को बल प्रदान करता है । यह सर्दी, जुकाम व दमे में लाभकारी है ।
यह गठिया, लकवा (paralysis), कम्पवात (सिर व हाथ का कम्पन), गृध्रसी (ीलळरींळलर), कमरदर्द आदि वायु-संबंधी बीमारियों में उत्तम व सर्वसुलभ औषधि है । इसका सेवन हिचकी, उलटी, अजीर्ण, अफरा (गैस), पेटदर्द, कृमि, कब्ज, खाँसी, हाथीपाँव आदि रोगों में भी लाभदायी है ।
सर्दी, खाँसी व दमे में लाभकारी प्रयोग
1 इंच अदरक के छोटे-छोटे टुकड़े कर लें । थोड़ा-सा गुड़ लेकर उसे गर्म करें । गुड़ पिघल जाने पर अदरक को उसमें अच्छी तरह मिलायें और उतार लें । गुनगुना रहने पर इसका सेवन करें । यह प्रयोग रात को सोते समय करें, फिर पानी से कुल्ला करें किंतु पानी न पियें । इससे सर्दी, जुकाम, खाँसी व दमे में विशेष फायदा होता है ।
अदरक पाक
500 ग्राम कद्दूकश किया हुआ अदरक, 500 ग्राम पुराना गुड़ और देशी गाय का 125 ग्राम शुद्ध घी लें । अदरक को घी में लाल होने तक भून लें । गुड़ की चाशनी बनाकर उसमें भूना हुआ अदरक तथा इलायची, जायफल, जावित्री, लौंग, दालचीनी, काली मिर्च व नागकेसर का 6-6 ग्राम (आधा छोटा चम्मच) चूर्ण मिला के पाक को सुरक्षित रख लें ।
10 से 20 ग्राम पाक सुबह-शाम चबाकर खायें । यह उत्तम वात-कफशामक, भूखवर्धक, पाचक, मल-निस्सारक, रुचिप्रद व कंठ के लिए हितकर है । दमा, खाँसी, जुकाम, आवाज बैठ जाना, अरुचि आदि कफ-वातजन्य विकारों में व मंदाग्नि, कब्ज, भोजन के बाद पेट में भारीपन, अफरा अथवा शरीर के किसी भी अंग में होनेवाले दर्द में इस पाक के सेवन से बहुत लाभ होता है । शरीर में चुस्ती व स्फूर्ति भी आती है ।
अदरक की चटनी
अदरक, हरा धनिया, थोड़ी-सी हरी मिर्च, नमक, नींबू आदि मिलाकर बनायी गयी चटनी रुचिकर एवं स्वास्थ्य के लिए उत्तम है ।
सावधानी : उष्ण और तीक्ष्ण होने के कारण अदरक का प्रयोग बुखार, पेशाब में रुकावट, शरीर के किसी भी अंग से खून बहना, घाव, जलन आदि में तथा ग्रीष्म व शरद ऋतुओं में वर्जित है । पित्तजन्य व्याधिवाले व्यक्ति इसका उपयोग वैद्यकीय सलाहानुसार करें ।
REF: ISSUE294-DECEMBER-2021
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