सूर्यदेव की विशेष प्रसन्नता हेतु मंत्र
ब्रम्हज्ञान सबसे पहले भगवान सूर्य को मिला था | उनके बाद रजा मनु को, यमराज को…. ऐसी परम्परा चली | भास्कर आत्मज्ञानी हैं, पक्के ब्रम्ह्वेत्ता हैं | बड़े निष्कलंक व निष्काम हैं | कर्तव्यनिष्ठ होने में और निष्कामता में भगवान सूर्य की बराबरी कौन कर सकता है ! कुछ भी लेना नहीं, न किसीसे राग है न द्वेष हैं | अपनी सत्ता-समानता में प्रकाश बरसाते रहते हैं, देते रहते हैं |
‘पद्म पुराण’ में सूर्यदेवता का मूल मंत्र है :

” ॐ ह्रां ह्रीं सः सूर्याय नमः “

Om hraam hreem saha suryaay namah !!

One should pray Surya God on this day to eliminate personal evils/shortcomings and to preserve brahmacharya.

अगर इस सूर्य मंत्र का ‘आत्मप्रीति व आत्मानंद की प्राप्ति हो’ – इस हेतु से भगवान भास्कर का प्रीतिपूर्वक चिंतन करते हुए जप करते हैं तो खूब प्रभु-प्यार बढेगा, आनंद बढेगा |

आदित्यहृदय स्तोत्र

Aditya Hriday Stotra ka 3 baar paath karne se Vighna-badha karne walon ko, aarop lagane walon ko safalta nahin milti  -Pujya Bapuji’s Message 11th DEC ’09

संक्रांति के दिन यदि रविवार हो तो उसका नाम ह्रदयवार होता है | वह आदित्य के ह्रदय को अत्यंत प्रिय है | उस दिन नक्तव्रत करके मंदिर में सूर्यनारायण के अभिमुख एक सौ आठ वार आदित्यहृदय का पाठ करना चाहिये अथवा सायंकाल तक भगवान् सूर्य का ह्रदय में ध्यान करना चाहिये | सूर्यास्त होने के पश्च्यात घर आकर यथाशक्ति ब्राह्मण को भोजन कराये तथा मौनपूर्वक स्वयं भी खीर का भोजन करके सूर्यदेव का स्मरण करते हुए भूमिपर ही शयन करे | इसप्रकार जो इस दिन व्रत रहकर श्रद्धा-भक्तिसे सूर्यनारायण की पूजा करता है, उसके समस्त अभीष्ट सिद्ध हो जाते है और वह भगवान् सूर्य के समान ही तेज-कान्ति तथा यश को प्राप्त करता है |
– भविष्य पुराण, ब्राह्म पर्व

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