एकोऽहं बहु स्याम् । जैसे एक स्वप्नद्रष्टा अनेक हो जाता है, ऐसे ही एक परमेश्वर-सत्ता अनेकरूप हो जाती है । पृथ्वी में उसी परमेश्वर की सत्ता पेड़-पौधों को, बीजों को पोषण देती है । पृथ्वी का कण-कण मधुमय परमात्मा से संचारित, जल की बूँद-बूँद स्वादमय सत्ता से सम्पन्न, वायु का हर झोंका सच्चिदानंद की सत्ता से सराबोर…

भगवान श्रीकृष्ण गीता (7.8) में कहते हैं :

प्रभास्मि शशिसूर्ययोः ।

‘चन्द्रमा और सूर्य में प्रकाश मैं हूँ ।’

पुष्णामि चौषधीः सर्वाः सोमो भूत्वा रसात्मकः ।

‘रसस्वरूप, अमृतमय चन्द्रमा होकर सम्पूर्ण औषधियों, वनस्पतियों को मैं पुष्ट करता हूँ ।’     (गीता : 15.13)

Videos

Articles

Sharad Poonam Tips

एकादशी से शरद पूर्णिमा तक 15 से 20 तक त्राटक करने से नेत्रज्योति बढ़ती है |

आंखें स्वस्थ रखने केलिए शरद पूनम की रात को चन्द्रमा की चांदनी में (अन्य कोई प्रकाश न हो) सुई में धागा पिरोना चाहिए ।

चन्द्रमा की चाँदनी गर्भिणी स्त्रियों की नाभि पर पड़े तो गर्भस्थ शिशु विशेष प्रभावशाली व प्रसन्न होते हैं ।

गाय का घी, शहद और त्रिफला – इनका मिश्रण करके चन्द्रमा की चाँदनी में रातभर रखो । सुबह काँच की बर्नी में रख दो (त्रिफला रसायन) । सुबह-शाम 10-10 ग्राम 40 दिन खाओ । मैंने तो 60 दिन खाया तो चश्मा उतर गया ।

त्रिफला रसायनवाले त्रिफला रसायन बनायें, खीरवाले खीर को अमृतमय बना-बनाकर खायें, नेत्रज्योति बढ़ाने की इच्छावाले चन्द्रमा पर त्राटक करें परंतु सभी भगवच्चिंतन करते-करते आत्मज्योति, रसमय प्रभु की मंगलमय, मधुमय शांति, भक्ति, प्रीति में पावन जरूर होयें ।

दमा के मरीजों के लिए पूज्य बापूजी के लगभग सभी आश्रमों में, पूज्य बापूजी के आशीर्वाद रूप में तैयार बूटी शरद पूनम की रात को खीर में मिलाकर उपलब्ध कराई जाती है कृपया अपने बूटी की उपलब्धता के लिए अपने निकटतम आश्रम में संपर्क करें ।

पीपल की अंतर्छाल को छाया में सुखा के महीन चूर्ण बनायें । दमा (श्वास) के रोगियों को शरद पूर्णिमा (9 अक्टूबर) के दिन उपवास करायें । चावल को पानी में पकायें फिर दूध एवं शक्कर डालकर एक-दो उबाल दे दें । इस प्रकार से बनायी खीर को रात्रि के 12 बजे तक चाँदनी में रखें फिर 125-250 ग्राम खीर में 6 ग्राम उक्त चूर्ण मिलाकर खिला दें । मरीज रात को जागरण करे, घूमे-फिरे, सोये नहीं । विधिपूर्वक यह प्रयोग करने से दमा के अनेक रोगियों को लाभ पहुँचा है । कइयों का दमा ठीक हुआ है ।

🌹यह प्रयोग कार्तिकी पूर्णिमा एवं फाल्गुनी पूर्णिमा की रात्रि में भी किया जा सकता है । शरद पूर्णिमा की रात को चन्द्रमा की किरणों से अमृत-तत्त्व बरसता है । इसलिए शरद पूर्णिमा को किया गया प्रयोग श्रेष्ठ होता है ।

– (संत श्री आशारामजी आश्रम से प्रकाशित मासिक समाचार पत्र ‘लोक कल्याण सेतु’, सितम्बर 2022 से साभार)

अमृतमय खीर का लाभ लें

शरद पूनम को चन्द्रमा की सात्त्विक तरंगें पृथ्वी पर आती हैं । आप लोग इसका फायदा उठाना । रात को आप खीर बना लेना । 200 ग्राम पके चावल में एक लीटर दूध डालकर 2-4 उफान आने तक गर्म करो । बन गयी खीर । बादाम, काजू, पिस्ता नहीं डालना, नहीं तो गुर्दों पर भार पड़ेगा । प्रति व्यक्ति 1-2 काली मिर्च दूध में उबालनी चाहिए, जिससे दूध का वायु-दोष दूर हो जाय । चन्द्रमा की चाँदनी में खीर 8.30 से 11 बजे तक (2-3 घंटे) रख देना, फिर थोड़ी खाना और बाकी सुबह खा लेना क्योंकि ज्यों देर रात होती है, त्यों जठराग्नि मंद होती है । खाते समय थोड़ा मेरी तरफ भी इशारा कर देना : ‘लो बाबा ! खाओ ।’ संत और भगवान तो भाव के भूखे हैं । उस समय भाव से तुम्हारा हृदय पवित्र होगा और भोजन प्रसाद बन जायेगा ।

गाय का दूध पृथ्वी का अमृत माना जाता है लेकिन उसमें दुनियाभर की चीजें डालकर दूध को गाढ़ा करके खीर बनाना खाना खराब करना है । जितना गाढ़ा दूध उतना पचने में मुश्किल और उसका कुछ भाग नहीं पचा तो आम (अपक्व आहार रस) बन जाता है, जो आगे चलकर अनेक रोग, गाँठें (ट्यूमर), कैंसर बना देता है ।