जो कर्षित कर दे, आकर्षित कर दे, आनंदित कर दे उस परात्पर ब्रह्म का नाम श्रीकृष्ण है । कर्षति आकर्षति इति कृष्णः। सच पूछो तो श्रीकृष्ण ही शिष्य बने हैं, श्रीकृष्ण ही गुरु बने हैं, श्रीकृष्ण ही पिता बने हैं, माता...

जन्माष्टमी की रात – महारात्रि
जन्माष्टमी का व्रत – एकादशी व्रत से हजार गुना अधिक फलदायी होता है। इस रात 12 बजे भगवान नारायण ने स्वयं अवतार लिया था।
जन्माष्टमी की रात – 4 महारात्रियों में से एक है, इस रात को जप ध्यान करना सामान्य दिन की तुलना में अनगिनत बार फायदेमंद होता है।भारतवर्ष में रहनेवाला जो प्राणी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का व्रत करता है, वह सौ जन्मों के पापों से मुक्त हो जाता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण)
इस रात को जप करना बहुत लाभदायक होता है इसलिए साधक पूज्य बापूजी के स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए महामृत्युंजय जप करते हैं.
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जन्माष्टमी महापर्व है । परात्पर ब्रह्म, निर्गुण-निराकार, पूर्णकाम, सर्वव्यापक, सर्वेश्वर, परमेश्वर, देवेश्वर, विश्वेश्वर... क्या-क्या कहें... वही निराकार ब्रह्म नन्हा-मुन्ना होकर मानवीय लीला करते हुए मानवीय आनंद, माधुर्य, चेतना को ब्रह्मरस से सम्पन्न करने के लिए अवतरित हुआ जिस दिन,...