भक्ति बढाने हेतु :-
जिसको अपनी भक्ति बढानी है …. भगवद्गीता का १२वाँ अध्याय पढ़के, भगवद्गीता हाथ में ही रखकर भगवान को प्रार्थना करे: “हे भगवान! भगवद्गीता का १२वाँ अध्याय भक्तियोग नामक अध्याय है। जिसका मैंने आज पाठ किया है। ऐसी कृपा करना प्रभु कि मेरी भक्ति बढ़ जाये। बस मेरी भक्ति बढ़ जाये दाता !! ” दिल से प्रार्थना करोगे न तो सचमुच भगवान के वचन गीता में हैं। और १२वें अध्याय को भक्तियोग नामक अध्याय कहते हैं। वो पाठ करके प्रार्थना की तो भगवान की, गुरु की कृपा क्यों नहीं बरसेगी!! भक्ति बढ़ेगी और वो ही भक्ति सब सुखों की खान है।
– श्री सुरेशानंदजी, रायपुर, 24 जून 2012
क्षमा याचना हेतु –
आपको लगता है की मेरे से ये गलती हुई है……तो … हे! भगवान तू मुझे माफ़ कर, हे! गुरुदेव मुझे माफ़ करो …… तो गीता का ये श्लोक… अठारवाँ आध्याय ६६वाँ श्लोक बोले , …. तो ये श्लोक दिन में कई बार बोले |
श्लोक – सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज |
अहं त्वां सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामी मा शुच: ||
– Shri Sureshanandji Surat 9th Aug’ 2012
घर में समृद्धि के लिए
घर में समृद्धि लाना चाहते हो तो जिस घर के पुरुष काम पर जाते हों तो घर की महिलाएँ, जब पुरुष काम पर जायें तब गीता के 11 वें अध्याय का 40 वां श्लोक 108 बार पढ़ें और भगवान से प्रार्थना करें कि मैंने ये जो पाठ किया है इसका पुण्य हमारे घर के अमुक-अमुक पुरुष को ( उनका नाम लेकर) दीजिये उन्हें कार्य खूब सफलता मिल ऐसी प्रार्थना करके अर्घ्य दें इससे घर के काम करने वाले व्यक्ति को बहुत सफलता मिलेगी यह कई लोगों का अनुभव है इस श्लोक की इतनी महिमा है और इतना सरल भी है |
” नमः पुरस्तादथ पृष्ठतस्ते
नमोऽस्तुं ते सर्वत एव सर्व।
अनन्तवीर्यामितविक्रमस्त्वं
सर्व समाप्नोषि ततोऽसि सर्वः।।40।।
हे अनन्त सामर्थ्य वाले ! आपके लिए आगे से और पीछे से भी नमस्कार ! हे सर्वात्मन्! आपके लिए सब ओर से नमस्कार हो क्योंकि अनन्त पराक्रमशाली आप समस्त संसार को व्याप्त किये हुए हैं, इससे आप ही सर्वरूप हैं।(40)”
श्राद्ध के दिन
जिस दिन आप के घर में श्राद्ध हो उस दिन गीता का सातवें अध्याय का पाठ करे । पाठ करते समय जल भर के रखें । पाठ पूरा हो तो जल सूर्य भगवन को अर्घ्य दें और कहें की हमारे पितृ के लिए हम अर्पण करते हें। जिनका श्राद्ध है , उनके लिए आज का गीता पाठ अर्पण।
– श्री सुरेशानंदजी Rohini Delhi 12 Sep, 2011
श्रद्धा -भक्ति बढ़ाने हेतु
गीता के १२ वें अध्याय का दूसरा (२) और बीसवां (२०) श्लोक .. केवल दो श्लोक का पाठ कर के…भगवद गीता हाथ में रख कर..हम शुभ संकल्प करें कि ” हे भगवन ! आप ने ये दो श्लोकों में जो परमश्रद्धा की बात बताई है वो हमारी हमारे गुरु चरणों में हो जाये ” तो वो वचन भगवन के हैं …भगवान सत्स्वरूप हैं तो उनके वचन भी सत है और हम उन वचनों का पाठ कर के संकल्प करें तो जो सचमुचअपने गुरु में श्रद्धा भक्ति बढ़ाना चाहते हैं उनका संकल्प भी ऐसा ही हो जाएगा ।
शोल्क :-
मय्यावेश्य मनो ये मां नित्ययुक्ता उपासते।
श्रद्धया परयोपेतास्ते मे युक्ततमा मताः।।2।।
श्री भगवान बोलेः मुझमें मन को एकाग्र करके निरन्तर मेरे भजन-ध्यान में लगे हुए जो भक्तजन अतिशय श्रेष्ठ श्रद्धा से युक्त होकर मुझ सगुणरूप परमेश्वर को भजते हैं, वे मुझको योगियों में अति उत्तम योगी मान्य हैं।(2)
ये तु धर्म्यामृतमिदं यथोक्तं पर्युपासते।
श्रद्दधाना मत्परमा भक्तास्तेऽतीव मे प्रियाः।।20।।
परन्तु जो श्रद्धायुक्त पुरुष मेरे परायण होकर इस ऊपर कहे हुए धर्ममय अमृत को निष्काम प्रेमभाव से सेवन करते हैं, वे भक्त मुझको अतिशय प्रिय हैं।(20)
– श्री सुरेशानंदजी अहमदाबाद 16th Jan’ 2012
पितृ पक्ष
अपने घर के लोगजो गुजर गये हैं उनकी आत्मा को शांति देने के लिए इतना जरूर करें कि अब सर्व पितृअमावस्याआयेगी, उस दिन गीता का पाठ करें, सूर्यभगवान के सामने जल और अन्न ले जाकरप्रार्थना करें कि: “हे सूर्यदेव, यमराजआप के पुत्र हैं, हमारेघर के जो भी गुजरगये उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें, आज के गीता के पाठ का पुण्य उनके लिए दीजीये” पितृ गण राजी होंगे, घर में अच्छी संतान जन्म लेगी यह सर्व पितृ का दिन जरूरकरें
Pitru Paksh/Shraaddh Paksh
Pirtu Paksh is currently in progress. For peace of all the souls who passed away in your home, you must, on the day of Sarvapitri Amavasya, recite Bhagvad Gita, offer water and meal to Surya Narayan and pray:” He Suryadev, your son is Yamaraj; please offer peace to all who passed away in our home and pass on the virtues of today’s Gita recitation to them.”
If all ancestors are pleased, then good souls will take birth in your family. You must do this on the day of Sarvapitri Amavasya.
-5th September 07, Baksi(Ujjain)
घर में किसी के स्वास्थ्य बिगड़ने पर(Sickness of a family member)
अगर घर में कोई बहुत दिन से बीमार है और आप कोशिश में हों कि जल्दी आराम जाये तो वड़ दादा की परिक्रमा करके प्रार्थना करें और महा-मृत्युंजय का जप करें
कोई मृत्यु के समीप हो और आप वहाँ उपस्थित हों तो उस व्यक्ति की इतनी सेवा अवश्य की गीता का आठवां अध्याय पढ़ें भले ही वह व्यक्ति सुन नहीं पाये, समझ नहीं पाये फिर भी उस व्यक्ति के पास बैठ कर ये अध्याय पढ़ने मात्र से उसको लाभ होगा
Pray to the Lord while circumambulating the Bada dada in the nearby ashram. Chant maha mritunjaya mantra for the benefit of the sick.
Read the 8th chapter of Gita to a person at the death’s door। A mere reading of this chapter benefits the beleaguered soul, irrespective of whether he is able to listen to or understand it।
-25th Nov 07, Vadodara
नौकरी धन्धे में समस्या (Service/Business related problems)
💠 कई लोगों का अनुभव है कि नौकरी धन्धे में कोई समस्या हो तो खाना खाने से पहले गीता के 15वें अध्याय का पाठ करें लाभ अवश्य होता है जादू टोना ऐसे मैले उपाय नहीं करें ऐसे शस्त्र सम्मत उपाय करने से लाभ निश्चित होता है
Many people have observed that reading the 15th chapter of Gita, before taking food, solves the problems one is facing in his service/business.
💠 नौकरी में कोई समस्या है तो हर शनिवार को दूध, पानी और गुड मिलाकर पीपल को अर्पण करें अपने आप सब कुछ अच्छा होगा
Offering the fluid prepared by mixing water, milk and jaggery to a sacred fig (Peepal tree) every Saturday, helps solving the service related problems.
-5th September 07, Baksi(Ujjain)
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