18
Feb

वंचितों के हितैषी
ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः
पूज्य बापूजी कहते हैं-
“अपने जीवन को एक उत्सव बनाओ। उत्सव में ’उत्’ का अर्थ है सर्वोच्च और ‘सव’ का अर्थ है यज्ञ । भूखे को भोजन, प्यासे को पानी, भटके को राह दिखाना, उत्साहहीन को ढाढस बंधाना, कुसंगियों को सत्संग के पथ पर लाना- ये सभी कर्म यज्ञ हैं । यदि आप भूखे को खाना खिलाते हैं तो वह निश्चित रूप से उसकी भूख शांत होगी लेकिन उसी समय आपको इससे मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति का अनुभव होगा ।
Give a Reply