18
Feb
यौगिक शक्ति संपन्न कुण्डलिनी योगसिद्ध
आत्म-साक्षात्कार एक सर्वोच्च अवस्था है। यदि इसे यौगिक शक्ति से जोड़ दिया जाए तो यह दूध में मिश्री मिलाने जैसा है । इस तरह का संयोग परम पूज्य बापूजी के जीवन में देखा जाता है। एक ओर जहां उनकी शरण में आने वाले उनके भक्तों के दिल आनंद और शांति से सरोबार हो जाते हैं वहीं दूसरी ओर मृत गाय को जीवनदान देने, अकाल-ग्रस्त क्षेत्रों में वर्षा होने, असाध्य रोगों से ग्रस्त लोगों के इलाज, निर्धन लोगों को आर्थिक सहायता और अनपढ लोगों को विद्या का दान तथा घोर नास्तिकों को आस्तिक बनाने जैसी घटनाएं उनके यौगिक शक्तियों से संपन्न कुंडलिनी योगसिद्ध होने का प्रमाण है।
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