शिष्य के लिए विशुद्ध आनंद का दिन
गुरुपूर्णिमा का दिवस गुरुपूजा दिवस के रूप में सच्चे शिष्य के लिए विशुद्ध आनंद का दिन है । एकमात्र गुरु ही मोहपाश को भंग करते तथा साधक को सांसारिक जीवन के बंधन से मुक्त करते हैं । श्रुति में कहा गया है :
यस्य देवे परा भक्तिर्यथा देवे तथा गुरौ ।
तस्यैते कथिता ह्यर्थाः प्रकाशन्ते महात्मनः ।।
(श्वेताश्वतर उपनिषद् : 6.23)
जिसकी परमेश्वर में परम भक्ति होती है तथा जिस प्रकार परमेश्वर में होती है उसी प्रकार अपने गुरु में होती है उस महात्मा पुरुष के हृदय में ही ये रहस्यमय अर्थ प्रकाशित होते हैं ।
गुरु साक्षात् परब्रह्म हैं । वे आपकी अंतरतम सत्ता से आपका पथप्रदर्शन करते तथा आपको प्रेरणा देते हैं ।
गुरुपूर्णिमा के शुभ अवसर पर नवीन दृष्टिकोण अपनायें । समस्त जगत को गुरुस्वरूप देखें । इस सृष्टि के प्रत्येक पदार्थ में गुरु के मार्गदर्शक करकमल, उद्बोधक वाणी तथा प्रबोधक संस्पर्श के दर्शन करें । अब समग्र जगत आपकी परिवर्तित दृष्टि के समक्ष रूपांतरित रूप में स्थित होगा । विराट गुरु जीवन के सभी मूल्यवान रहस्यों का उद्घाटन कर ज्ञान प्रदान करेंगे । दृश्य प्रकृति के रूप में अभिव्यक्त परम गुरु आपको जीवन की सर्वाधिक उपयोगी शिक्षाएँ प्रदान करेंगे ।
- स्वामी शिवानंद सरस्वती